हाईकोर्ट पहुंचा जिला आवंटन का मामला, सरकार से जवाब मांगा

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अधिक अंक लाने के कारण पसंदीदा जिले में नियुक्ति से वंचित हुए ग्राम विकास अधिकारी

जोधपुर। हाल ही में नवचयनित ग्राम विकास अधिकारियों ने वरीयता की अनदेखी कर किए गए जिला आवंटन को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार के पंचायतीराज विभाग को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया है।
श्रीगंगानगर निवासी प्रियंका की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने रिट याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि ओबीसी नॉन क्रीमिलयर वर्ग से सम्बन्ध रखने वाली याचिकाकर्ता ने ग्राम विकास अधिकारी पद के लिए ऑनलाइन आवेदन में अपना प्राथमिकता क्रमानुसार अपने पसंदीदा जिलों की सूची विभाग को बताई थी। राज्य स्तर पर वरीयता सूची में याचिकाकर्ता का चयन अधिक अंक होने के कारण ओबीसी के बजाय सामान्य वर्ग में हो गया। इस वजह से जिला आवंटन में याचिकाकर्ता को उसकी प्राथमिकता अनुसार पसंदीदा जिला आवंटित नहीं हुआ जबकि वरीयता क्रम में याचिकाकर्ता से पीछे रही अन्य ओबीसी अभ्यर्थियों को ओबीसी वर्ग में ही चयन होने के कारण पसंदीदा जिला आवंटित हो गया। पंचायतीराज विभाग ने कमजोर वर्गों से सम्बन्ध रखने वाले वर्गों को प्राथमिकता देने के बाद वरीयतानुसार जिला आवंटन करने के ही आदेश दे रखे हैं, लेकिन याचिकाकर्ता को इससे वंचित किया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कई न्यायिक दृष्टांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि भर्ती परीक्षा में अधिक अंक अर्जित कर सामान्य श्रेणी में चयनित होने मात्र से ही अभ्यर्थी को आरक्षित वर्गों को मिलने वाले लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन करने के परिणामस्वरूप प्राथमिकता से वंचित कर लाभ के बजाय हानि पहुंचाना असंवैधानिक और आरक्षण के प्रावधान के मूल उद्देश्यों के विपरीत है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने पंचायतीराज विभाग को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया।

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