आधार कार्ड में पति के नाम से पहले सी/ओ लिखा होने से नियुक्ति नहीं देना गलत

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जयपुर, 6 जून। राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती लेवल प्रथम में ओबीसी वर्ग की विधवा महिला को उसके आधार कार्ड में पति के नाम के पहले डब्ल्यू/ओ के बजाए सी/ओ लिखा होने के चलते नियुक्ति नहीं देने पर आश्चर्य जताया है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को एक माह में नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश रेशम बाई की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता सभी नोशनल परिलाभ और वरिष्ठता सहित अन्य लाभों की हकदार है।

याचिका में कहा गया कि 31 दिसंबर, 2021 को विज्ञापन जारी कर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए। जिसमें याचिकाकर्ता ने ओबीसी विधवा महिला वर्ग में आवेदन किया। याचिकाकर्ता के रीट परीक्षा में 99 अंक आए, जबकि ओबीसी विधवा महिला वर्ग की कट ऑफ 76 अंक रही। कट ऑफ से अधिक अंक होने के चलते याचिकाकर्ता को शॉर्टलिस्ट कर नियुक्ति के लिए करौली जिला आवंटित किया गया। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी और जिला परिषद ने उसे यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि उसके आधार कार्ड में पति के नाम के पहले डब्ल्यू/ओ के बजाए सी/ओ लिखा हुआ है।

याचिका में कहा गया कि उसके पति की नवंबर 2008 में मौत हो चुकी है। वहीं याचिकाकर्ता के जन आधार कार्ड में भी उसके पति का नाम लिखा हुआ है और उसने आधार कार्ड में भी संशोधन करवा लिया है। ऐसे में आधार कार्ड में डब्ल्यू/ओ के बजाए सी/ओ लिखा होने मात्र से उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को समस्त परिलाभ सहित एक माह में नियुक्ति देने को कहा है।

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