जैसलमेर, 28 अप्रैल (ब्यूरो): जिले में स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क में राजस्थान सरकार, वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे संयुक्त रूप से गोडावण के कंजरवेशन व गोडावण के केपिटिव ब्रीडिंग प्रोग्राम में एक और नई खुश खबरी सामने आई हैं। इस केपेटिव ब्रिडिंग प्रोग्राम में आरटीफि शयिल हेचिंग के तहत डेजर्ट नेशनल पार्क में स्थित ब्रिडिंग सेंटर के ही मौजूद मेल फ ीमेल गोडावण के प्रिजनन के बाद अंड्डे में एक और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के चिक ने जन्म दिया हैं। यह दूसरी बड़ी सफ लता हैं।
इससे पहले करीब 25 दिन पूर्व आर्टफि शियल हेचिंग से सेंटर में एक गोडावण के चिक ने जन्म लिया था। इस बड़ी सफ लता से गोडावण बचाने के लिए कार्य कर रहे वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों व पर्यावरण विदे में खुशी की लहर हैं। अब यह साफ जाहिर होने लगा हैं कि गोडावण द ग्रेट इंडियन बस्र्टड के लिए चलाए जा रहे केपेटिव ब्रीडिंग प्रोग्राम से आने वाले समय में और नए गोडावण के नए चिक जन्म लेंगे और निश्चित रुप से गोडावण की आबादी बढऩे लगेगी। इस नए चिक को ऐतिहात के तौर पर बेहतर व वैज्ञानिक तरीके से पालन किया जा रहा हैं।
इस संबंध में डेजर्ट नेशनल पार्क में स्थित डब्ल्यूआईआई सेंटर प्रभारी व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सुर्थीथो दत्ता ने बताया कि इस ब्रिडिंग सेंटर में बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम 2016 के तहत गोडावण के आबादी को घटने से रोकने के लिए जैसलमेर के सम व रामदेवरा में गोडावण संरक्षण प्रीजनन केंद्र स्थापित किए थे। करीब 3 से 4 साल पूर्व इस केंद्रो के आसपास जंगलो में मौजूद द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के ब्रिडिंग के बाद निकले इन जंगली अंड्डो को इक_ा कर इस सेंटर में लाकर उन्हें हेचिंग कर उसमें से निकले मादा व पुरुष ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सेंटर में ही मेटिंग करवाई गई और यह मेटिंग सफ ल रही।
उन्होने बताया कि कुछ दिन पूर्व इनमें से एक फ ीमेल गोडावण ने सफ लता पूर्वक एक अंड्डा दिया जिसे वैज्ञानिको ने सफ लता पूर्वक कृत्रिम रुप से हेचिंग की और तीन दिन पूर्व उनमें से एक नन्हा गोडावण का चिक बाहर निकल कर आया। यह हमारे लिए दूसरी बड़ी सफ लता हैं और जैसलमेर के सम स्थित सेंटर में जीआईबी केपेटिव प्रिजनन प्रोग्राम ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया हैं।
दत्ता ने बताया कि यह गोडावण का चिक विशेषज्ञो की देखरेख में हैं और यह पूरी तरह स्वस्थ हैं। इसका बेहतरीन लालन पालन किया जा रहा हैं। इस सफ लता ने निश्चित रूप से हमे काफी उत्साहित किया हैं। आने वाले समय में भी और केपेटिव ब्रिडिंग प्रोग्राम के कृत्रिम हेचिंग कर नए गोडावण पैदा किए जा सकेंगे और गोडावण की आबादी में भी बढ़ोतरी होगी।