नहीं सुधरे हालात: तीन महीने में सिर्फ चालीस फीसदी पोक्सो/बलात्कार मामलों की मिली डीएनए रिपोर्ट
-नागौर (डीडवाना-कुचामन) के साठ मामलों में से सिर्फ 24 की जांच रिपोर्ट पहुंची
-नागौर के पचास में से बीस तो डीडवाना-कुचामन जिले के दस में से चार मामलों की जांच रिपोर्ट तैयार
-सिर्फ पोक्सो मामलों की ही जांच पर ध्यान
– स्टाफ बीस फीसदी भी नहीं तो कैसे बढ़े काम की रफ्तार
सूत्रों का कहना है कि अजमेर की यह प्रयोगशाला जनवरी में ही तैयार हो चुकी थी, लेकिन तीन महीने तो मुख्यमंत्री गहलोत के हाथों शुरुआत होने की आस में ही निकल गए। बाद में आनन-फानन में बिना औपचारिकता के इसे शुरू करवाया गया, लेकिन कोई खास फायदा नहीं पहुंच पाया है। नागौर के अलावा यहां भीलवाड़ा, अजमेर और टोंक जिले के भी मामले आते हैं। अब अजमेर प्रयोगशाला में ही करीब तीन सौ मामले लम्बित चल रहे हैं। यहां यह भी बताते चलें कि अजमेर प्रयोगशाला में भी उन्हीं मामलों की जल्द रिपोर्ट तैयार हुई है जिनके लिए अदालत अथवा आईओ (जांच अधिकारी) ने जल्द देने की सिफारिश की थी। असल में हकीकत भी यही है जयपुर/जोधपुर हो या अजमेर, अधिकांश पोक्सो के मामले की ही जांच प्राथमिकता से की जा रही है। लम्बित मामलों की हालत यह है कि जयपुर स्थित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में करीब सोलह हजार तो जोधपुर में डेढ़ हजार से अधिक मामले पेंडिंग चल रहे हैं।
पोक्सो कोर्ट साठ पार पर जांच की सुस्त रफ्तार
सूत्र बताते हैं कि राज्य में पोक्सो कोर्ट की संख्या साठ के पार हो चुकी है। पोक्सो के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में जांच की रफ्तार का सुस्त रहना अदालत के लिए भी मुश्किल बन रहा है। आलम यह है कि अदालत को रिपोर्ट जल्द मांगने के लिए प्रयोगशाला के जिम्मेदारों के नाम पत्र जारी करना पड़ता है। या फिर अदालत में पेश होने वाले आईओ अथवा एसपी को इसके लिए ताकीद किया जाता है। उधर, कागजों में देखें तो राजस्थान को डीएनए रिपोर्ट की गति को राष्ट्रीय स्तर पर आदर्श माना जाता है।