मांगरोल, किशनगंज, केलवाडा में ली कार्यकर्ताओं की बैठकें
बारां 12 अक्टूबर। राजस्थान प्रदेश के 13 जिलों के लिए जीवनदायिनी माने जाने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को केन्द्र सरकार द्वारा लागू नही कर की गई वादा खिलाफी को लेकर राज्य के खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया द्वारा मांगरोल, किशनगंज एवं केलवाडा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तैयारी बैठकें ली गई। वहीं जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया ने कार्यकृताओ की तैयारी बैठक ली।
ब्लाॅक अध्यक्ष रामस्वरूप बैरवा, अजीज नाजा, धर्मेन्द्र यादव, अंता ब्लाकाध्यक्ष ओम सुमन ने बताया कि ईआरसीपी परियोजना पर केन्द्र सरकार द्वारा की गई वादाखिलाफी के विरोध में आगामी 16 अक्टूबर को बारां जिला मुख्यालय पर जन जागरण अभियान प्रारम्भ किया जाएगा। इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा सहित कई कांग्रेस नेता बारां पधारेंगे।मंत्री प्रमोद जैन भाया मैराथन बैठक कर रहे हैं। गुरुवार को मांगरोल, किशनगंज एवं केलवाडा में तथा अंता में कांग्रेस जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें ली गई।
इस दौरान प्रधान, ब्लाॅक अध्यक्ष, मण्डल अध्यक्ष, पंचायत अध्यक्ष, जिपस, पंसस सहित सैकडों की संख्या में कांग्रेसजन उपस्थित रहे।
बैठक को सम्बोधित करते हुए मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि राजस्थान प्रदेश के 13 जिलों के लिए जीवनदायिनी माने जाने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को केन्द्र सरकार द्वारा लागू नही कर की गई वादा खिलाफी को लेकर आगामी 16 अक्टूबर को बारां जिला मुख्यालय से कांग्रेस पार्टी द्वारा जन जागरण अभियान प्रारम्भ किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे सहित कई नेता बारां पहुंचेगे।
मंत्री भाया ने कांग्रेसजनों से 16 अक्टूबर को बारां जिला मुख्यालय पर होने जा रहे कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में कांग्रेसजनों से भाग लेने का आग्रह करते हुए कहा कि ईआरसीपी परियोजना राजस्थान के झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक 13 जिलों के लिए जीवनदायिनी है तथा इस परियोजना से वर्ष 2051 तक इन जिलों को सिंचाई एवं पेयजल हेतु पानी की पूर्ति होनी है। यह परियोजना कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों में उपलब्ध अधिशेष मानसूनी पानी का उपयोग करके और इसे बनास, गंभीरी, बाणगंगा के पानी की कमी वाले उप-बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन के भीतर पानी पहुंचाया जाएगा।