-करीब 30 हजार से अधिक ई-रिक्शा के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं
-कलर कोड के नियम भी हवा हुए
जयपुर, 8 अप्रैल (ब्यूरो): ई-रिक्शा की वजह से लग रहे जाम से जल्द ही शहर को मुक्ति मिलने की आस पूरी होती नजर नहीं आ रही है। जयपुर आरटीओ की ओर से ई-रिक्शा संचालन के लिए जोन का निर्धारण करने की बात कही गई थी, इसके लिए बैठकों का दौर भी हुआ, लेकिन नतीजा आज तक सिफर है। हालात यह है कि वर्तमान में ई-रिक्शा चालक 25-30 किलोमीटर दूरी की सवारी भी खुल्लम खुल्ला ले जा रहे हैं। बसों के लिए निर्धारित मार्गों पर भी ई-रिक्शा चल रहे हैं। तय यह हुआ था कि जोन बनने के बाद ई-रिक्शा लम्बे रूट पर नहीं चल सकेंगे, लेकिन न तो जोन बने और इनका निर्धारण तय हुआ। सितम्बर माह में आयोजित हुई बैठक में यातायात पुलिस, नगर निगम, जेसीटीएसएल के अधिकारी व ई-रिक्शा यूनियन के प्रतिनिधि मौजूद थे। उसके बाद एक और बैठक हुई, लेकिन इसमें भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
वैसे ई-रिक्शा संचालन के लिए नौ जोन प्रस्तावित किए गए थे। नगर निगम के जोन व वार्डों के अनुसार इन्हें प्रस्तावित करने की बात भी सामने आई थी, लेकिन इसके बाद जोनों का निर्धारण भी नहीं हो पाया। ई-रिक्शा के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र भी तय करने के लिए कहा गया था, लेकिन हालात यह है कि हाई वे लेकर चारदीवारी की गलियों तक बेधडक़ ई-रिक्शे चल रहे है और उनको कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। प्रस्ताव यह भी बनाया गया था कि एक जोन का ई-रिक्शा दूसरे जोन में नहीं जा सकेगा, इसके लिए हर जोन का अलग कलर कोड तय करने का भी नियम बनाया गया था। जो ई-रिक्शा जिस जोन के लिए पंजीकृत होगा, वह संबंधित जोन के कलर में रंगा जाएगा। लेकिन न तो रंग का निर्धारण हो सका है और न ही कलर कोड के बारे में कोई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
28 हजार पंजीकृत, लेकिन चल रहे हैं 36 हजार ई-रिक्शा :
बताया जाता है कि शहर में 28 हजार ई-रिक्शा परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं, लेकिन इसके बाद भी 8 हजार से अधिक अपंजीकृत ई-रिक्शा भी चल रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में ई-रिक्शा की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। चारदीवारी, सिंधी कैंप, रेलवे स्टेशन, रामगंज, छोटी-बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, बनीपार्क सहित अन्य इलाकों में ई-रिक्शा के कारण यातायात जाम की स्थिति बन रही है। यहां पर ई-रिक्शा सड़क़ के बीचों-बीच सवारी उतारते हुए हर कभी देखे जा सकते है। इतना ही नहीं जेएलएन मार्ग, टोंक रोड आदि मुख्य सडक़ों पर भी ई-रिक्शा चल रहे है, जिसकी वजह से दूसरे वाहनों के संचालन में काफी दिक्कतें सामने आती है।
ये नियम भी धरे रह गए :
– हर जोन में ई-रिक्शा के लिए बनेंगे स्टैंड लेकिन आज तक नहीं बना
– ई-रिक्शा चालकों को लाइसेंस लेना जरूरी, लेकिन केवल खानापूर्ती हो रही है
– लाइसेंस के लिए कैम्प लगाए जाने का प्रस्ताव, लेकिन केवल एक बार ही लगा कैम्प
– हर जोन में 3-4 हजार ई-रिक्शा किए पंजीकृत करने की बात, लेकिन कागजों में बने नियम
– पंजीकरण के बिना नहीं चल सकेंगे ई-रिक्शा लेकिन मार्गों पर कभी-कभार ही होती है पूछताछ
-ई-रिक्शा को अपने हिसाब से मालिक या ड्राइवर मोडिफाई कर रहा है, सवारी गाड़ी को भी लोडिंग का रूप दिया जा रहा है।