जोधपुर। राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी डॉक्टर्स की हड़ताल शनिवार को भी जारी रही। इससे मरीजों को तकलीफों का सामना करना पड़ा। शनिवार को बिल के विरोध में निजी डॉक्टर्स और विभिन्न एसोसिएशन ने मिलकर रैली निकाली और प्रदर्शन किया।
शनिवार को निजी अस्पताल के डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल, रेजिडेंट, केमिस्ट एसोसिएशन और मेडिकल रिप्रिजेंटेटिव ने मिलकर आरटीएच के विरोध में रैली निकाली जिसमें बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी और एंबुलेंस सचालक भी शामिल हुए। रैली रोटरी क्लब से रवाना हुई जो दल्ले खां चक्की, 12वीं रोड होते हुए वहां से वापस रोटरी क्लब पहुंची। रास्ते में हड़ताली चिकित्सकों ने राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में जमकर नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। आईएमए और अन्य संगठनों के नेतृत्व में निकाली गई रैली में डॉक्टर राइट टू हेल्थ बिल की मुखालफत करते संदेशों की तख्तियां लेकर निकले। तख्तियों पर लिखा था कि सरकार इस बिल के माध्यम से जनता को भ्रमित कर रही है। इस बिल से क्वालिटी ट्रीटमेंट प्रभावित होगा जिससे मरीजों को नुकसान होगा। सरकार अपने बीमार अस्पतालों को ठीक करने के बजाय निजी अस्पतालों को बीमार करने पर आमादा है जहां अभी सरकारी योजनाओं के तहत मरीजों को उपचार दिया जा रहा है।
रैली में एम्पोज जोधपुर के अध्यक्ष डॉ. कांतेश खेतानी, आइएमए जोधपुर के सचिव डॉ. सिद्धार्थ लोढ़ा, एम्पोज जोधपुर के सचिव डॉ. नगेंद्र शर्मा, डॉ. प्रदीप जैन, डॉ. प्रशांत विश्नोई तथा डॉ. सुदेश ठाकर आदि शामिल हुए। उन्होंने बताया कि कि आरजीएचएस और मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में प्राइवेट हॉस्पिटल और सरकारी हॉस्पिटल में उपचार की दरें एक समान हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर व स्टाफ का वेतन सरकारी खजाने से मिलता है, जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल वेतन खर्च भी उपचार फीस से ही जुटाते हैं। सरकारी अस्पतालों में इन्फ्रा स्ट्रक्चर भी सरकारी है, जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल को सारे संसाधन खुद जुटाने पड़ते हैं। ऐसे में अब लाया गया राइट टू हेल्थ बिल प्राइवेट अस्पतालों के सरकारीकरण का प्रयास है, जिससे प्राइेवट हॉस्पिटल चलाने मुश्किल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल वापस लेने तक प्राइवेट हॉस्पिटल बंद रहेंगे।
2023-03-25