दौसा में प्रशासन के लिए आसान नहीं है चुनावो की राह
दौसा में चुनाव के दिन के लिए 69 अर्धसैनिक बलों की कम्पनी मांगी
पिछले चुनाव से 12 कम्पनियां अधिक रहेंगी दौसा में तैनात
अर्धसैनिक बलों के साथ साथ राजस्थान पुलिस व होमगार्ड के जवान संभालेंगे सुरक्षा व्यवस्था
दौसा में हो चुकी है ट्रिपल पोल की दो घटनाएं
देश में ट्रिपल पोल कराने वाला संभवतया पहला जिला है
दौसा, 12 अक्टूबर: चुनावो की दृष्टि से प्रदेश की सबसे अति संवेदनशील जिलों में शामिल दौसा में इस बार भी संगीनों के साए में ही मतदान होगा। इसके लिए प्रशासन ने अर्ध सैनिक बलों की 69 कंपनियां मांगी है। यहां लगभग 75 फीसदी पोलिंग बूथों को संवेदलशील बूथों की श्रेणी रखा गया है। साथ ही 50 फीसदी बूथों पर कैमरों के जरिए सीधी नजर रखने की भी व्यवस्था की जा रही है। ताकि समय रहते किसी भी घटना पर नियंत्रण पाया जा सके।
दौसा के चुनावी इतिहास को देखें तो जिले में शांतिपूर्ण चुनाव करवाना किसी चुनौती से कम नही है। वर्ष1996 में जौण व 2009 में गोठड़ा मतदान केंद्र पर तीन तीन बार वोट डाले गए थे। दोसा जिला संभवतया देश में इकलौता ऐसा जिला होगा जहाँ ट्रिपल पोल कराने पड़े। 1996 में तो कलेक्टर एसपी को ही हटा दिया गया था। रिपोल की घटना होना यह आम बात है। ऐसे में इस बार भी प्रशासन चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। इसके लिए 69 अर्द्धसैनिक बलों की कम्पनियों की डिमांड भेजी है। गत 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में सबसे अधिक दौसा को 57 अर्धसैनिक बलों की कम्पनियों मिली थी, इस बार दौसा प्रशासन ने 12 अधिक कम्पनियों की डिमांड करते हुए कुल 69 पैरामिलिट्री की कम्पनियां मांगी है। ऐसे में चुनाव के दौसा के प्रत्येक बूथ पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहेंगे। प्रत्येक बूथ पर हथियारबंद जवान तैनात रहेंगे। बूथ की 200 मीटर की परिधि सुरक्षाकर्मियों की हवाले रहेगी साथ ही उपद्रवियों की दूर से ही पहचान करने के लिए बूथ की छतों पर हथियारबंद सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे।
एसपी वन्दिता राणा ने बताया कि चुनाव में किसी ने भी कानून व्यवस्था खराब करने की कोशिश की उसे तो सख्ती से निपटा जाएगा।
कही भारी नही पड़ जाए अधिकारियो में अनुभव की कमी
25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी दिन रात काम कर रहे हैं लेकिन अधिकांश अधिकारी या तो नए ह या पहली बार ऐसा चुनाव करा रहे हैं। ऐसे में अनुभव की कमी साफ देखी जा रही है जो चुनावो में भारी पड़ सकती है।