-प्रदेश में 211 बांध, 189 को जीर्णोद्धार की जरूरत, 140 का सर्वे पूरा
-दो चरणों में दस साल में बांधों के जीर्णोद्धार का काम चढ़ेगा सिरे
जयपुर, 21 अप्रैल : सौ साल से अधिक समय से राजस्थान को पानी पिला रहे बांधों में से कई दरकने लगे हैं। कई बांध की उम्र सौ साल से ऊपर हो चुकी है। नियमित देखरेख के अभाव के चलते कई बांध असुरक्षित नजर आ रहे हैं, तो यह किसी बड़े हादसों को भी न्यौता देते प्रतित होते हैं। प्रदेश में 211 बांध हैं और इनमें से करीब 189 को जीर्णोद्धार की जरूरत है। जलसंसाधन विभाग भी सक्रिय होकर सर्वे कार्य करवाने में लगा है। करीब 140 बांधों का सर्वे काम पूरा हो चुका है। जीर्णोद्धार पर करीब 964 करोड़ से अधिक पैसा खर्च होगा। जीर्णोद्धार के लिए वल्र्ड बैंक से आर्थिक मदद मिलने के रास्ते की सारे रुकावटे दूर हो चुकी हैं। विभाग की सर्वे रिपोर्ट के बाद बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना को मंजूरी भी मिल चुकी है। इसी के चलते विभाग ने फिलहाल 7 बांध के जीर्णोद्धार का काम शुरू करा दिया है। दस साल में दो चरणों में जल संसाधन विभाग जीर्णोद्धार के काम को सिरे चढ़ाएगा।
प्रदेश में अलग-अलग नदी से लेकर नालों पर बने बांधों के कारण लोगों का गला तर हो रहा है। हालांकि ऐसे बांधों की संख्या काफी है, जो अब उम्रदराज हो चुके हैं और हांफने लगे हैं। सौ साल से अधिक के कई बांध आज देखरेख के अभाव में खस्ताहाल होने लगे हैं। इसी के चलते दरक रहे यह बांध अब कभी भी लोगों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। इसी के चलते अब इन बूढ़े हो चुके बांधों की सुध लेने का काम शुरू हुआ है। इसके लिए जल संसाधन विभाग ने पहले 211 बांधों का सर्वे कर उनके हालात जानने का प्रयास किया। सर्वे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। पता चला कि इनमें से करीब 189 बांधों को जीर्णोद्धार की जरूरत है। हालांकि अभी भी करीब पांच दर्जन बांधों का सर्वे काम चल रहा है। हालांकि आगामी मानसून को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने सात बांधों के जीर्णोद्धार का काम शुरू करा दिया है। इसके पहले विभाग ने सर्वे रिपोर्ट प्रदेश से लेकर दिल्ली तक भेजी और उसके बाद इसकी बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना तैयार की। इसके तहत दो चरणों में 189 बांध का जीर्णोद्धार किए जाने को मंजूरी दी गई है। दस साल में दो चरणों के काम होंगे। इस पर दो चरणों में 964 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
इन बांधों को जीर्णोद्धार की सख्त जरूरत :
उदयसागर, राजसमंद, जयसमंद, स्वरूप सागर, कूकस, बैराठ, हिंगोनिया, चंद्रना, कालख सागर, टोरडी सागर, माधोसागर, फतेहसागर, बुचरा, जसवंत सागर, चपरवाद, कूकस लोकल, बांकली, सरदार समंद, नाहर सागर, जयसमंद, शील की डूंगरी, रामगढ़, मंडल लोकल, सरदार समंद, हेमवास, ढील, हेमावास, गोवटा, उम्मेद सागर बांध शामिल है।
सबसे अधिक बुजुर्ग बांध :
बैराठ 1897, हिंगोनिया बांडी 1862, चंद्रना 1877, कलख सागर 1883, टोरडी सागर 1887, माधोसागर 1887, फतहसागर 1889, बुचरा 1889, जसवंत सागर 1889, चपरवार 1894 और सैंथल सागर बांध वर्ष 1898 के हैं।
19वीं सदी के अधिकतर बांध जो बुझा रहे प्यास :
खारी नदी पर बना उम्मेद सागर 1917, नाले पर बना कूकस बांध 1901, सूकड़ी नदी पर बना बांकली 1909, बाणगंगा नदी पर बना जयसमंद 1910, बनास नदी पर बना शील की डूंगरी 1900, इसी नदी पर बना रामगढ़ बांध 1901, नाले पर बना मंडल बांध 1903, गुहिया नदी पर बना सरदार समंड 1905, बंधी नदी पर बना हेमावास 1911, मोरेल नदी पर बना ढील 1911 तो बनास नदी पर बना गोवटा बांध वर्ष 1917 में बना था।
सर्वे के उपरांत योजना को मंजूरी मिलते ही काम शुरू :
जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर रवि सोलंकी ने पंजाब केसरी को बताया कि हमने जो सर्वे कराया था उसमें से 189 बांध को जीर्णोद्धार की जरूरत है। इनमें से हमने बीसलपुर, माही बजाज सागर, जवाई, सुकलीसेलवाड़ा, गंभीरी, सोम कमला अम्बा और मातृकुंडिया बांध पर जरूरी कामकाज शुरू कर दिया है। दो चरणों में जीर्णोद्धार के काम को दस साल में सिरे चढ़ाना है। इसमें करीब 964 करोड़ खर्च होंगे और इसके लिए वल्र्ड बैंक से भी आर्थिक मदद मिली है। सोलंकी ने बताया कि जीर्णोद्धार में गेट्स, रोपस सहित सुरक्षा के अन्य सभी काम किए जाएंगे। ताकि बांध से लोगों को पानी मिले और यह हादसों से भी सुरक्षित रहें।