जयपुर, 14 सितंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, एसीएस गृह, डीजीपी, एडीजी मानव तस्करी निरोधक यूनिट और करणी विहार थानाधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा है कि याचिकाकर्ता को 5600 गैंग का सदस्य बताकर अवैध हिरासत में क्यों रखा गया। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश अक्षय चौधरी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने मामले में इन अधिकारियों से पूछा है कि क्यों ना मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया जाए।
याचिका में अधिवक्ता डॉ. मिथिलेश कुमार और योगेश कुमार ने अदालत को बताया कि गत 22 अगस्त को याचिकाकर्ता का महिपाल, देवा, सन्नी कुमार और खेम सिंह सहित आठ लोगों ने करणी विहार थाना इलाके से अपहरण कर लिया था। इस दौरान याचिकाकर्ता के पास पांच लाख रुपए की नकदी और सोने की चेन आदि भी थी। अपहरण के बाद राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी भी दी गई। जिसके जवाब में राजस्थान पुलिस ने जयपुर पुलिस को टैग करते हुए मामला देखने को कहा। याचिका में कहा गया कि बाद में उसे मिलीभगत कर करणी विहार थाना पुलिस को सौंप दिया गया। वहीं पुलिस ने 24 अगस्त की सुबह उसे 5600 गैंग का सदस्य बताकर उसकी गिरफ्तारी डकैती डालने की योजना बनाने में दिखा दी। इसके बाद उसे अदालती समय में कोर्ट में पेश न कर देर रात मजिस्ट्रेट के घर पेश कर पुलिस रिमांड लिया गया। वहीं अब याचिकाकर्ता न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है। याचिका में कहा गया कि पुलिस ने उसे अवैध हिरासत में रखा और मिलीभगत कर 5600 गैंग का सदस्य बताकर फर्जी मुकदमे में फंसा दिया। मामले में अपहर्ताओं के खिलाफ निचली अदालत में परिवाद भी पेश किया गया है। याचिका में गुहार की गई है कि उसके खिलाफ दर्ज फर्जी एफआईआर को रद्द कर उसकी गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
2023-09-14