सीआरपीसी की धारा 164 या 161 के तहत दर्ज बयान को बचाव पक्ष को क्रॉस एक्जामिनेशन का अवसर दिये बिना ठोस साक्ष्य के रूप में नहीं माना जा सकता: पटना हाईकोर्ट

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पटना हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी को बरी करते हुए दोहराया कि यदि बचाव पक्ष को किसी ऐसे गवाह से क्रॉस एक्जामिनेशन करने के अवसर से वंचित कर दिया जाता है, जिसका बयान सीआरपीसी की धारा 164 या धारा 161 के तहत दर्ज किया गया तो ऐसे बयानों को सबूत नहीं माना जा सकता। जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की बेंच ने आर. शाजी बनाम केरल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, यह आईपीसी की धारा 366 (ए) और 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत सजा के फैसले के खिलाफ दायर आपराधिक अपील से निपट रहा था।

पीड़ित पक्ष का मामला यह था कि पीड़िता, जो शिकायतकर्ता की पुत्री है, जिसकी उम्र लगभग 14 वर्ष है, उसको अपीलकर्ता ने शादी के इरादे से अगवा कर लिया। शिकायतकर्ता ने शुरू में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 366 (ए) के तहत लिखित रिपोर्ट दर्ज की और बाद में आईपीसी की धारा 376/34 और पॉक्सो अधिनियम के 4 जोड़े गए। ट्रायल कोर्ट ने अपीलार्थी-अभियुक्त को दोषी करार दिया। हालांकि, सह-अभियुक्तों को ट्रायल कोर्ट ने उसी फैसले से बरी कर दिया।

केस टाइटल: दीपक कुमार बनाम बिहार राज्य आपराधिक अपील (एसजे) नंबर 1011/2022

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