जयपुर, 6 अप्रैल। राजस्थान हाईकोर्ट ने गुर्जर महापंचायत के दौरान सडक और रेल पटरी जाम करने के मामले में दिवंगत नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला सहित अन्य के खिलाफ लंबित अवमानना याचिकाओं और तत्कालीन सीएम डीसी सामंत व डीजीपी एएस गिल के खिलाफ लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अवमानना याचिकाओं पर दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट ने 10 सितंबर, 2007 को लाखन मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनकी पालना नहीं होने पर राज्य सरकार ने किरोड़ी सिंह बैंसला और एक दर्जन अन्य गुर्जर नेताओं के खिलाफ अवमानना याचिका पेश की थी। वहीं सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भी तत्कालीन मुख्य सचिव डीसी सामंत और डीजी एएस गिल के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया। महाधिवक्ता ने बताया कि लाखन मीणा की याचिका को 10 जुलाई 2009 को हाईकोर्ट ने वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया था। ऐसे में अंतरिम आदेश स्वत: ही समाप्त हो चुका है। इसलिए अंतरिम आदेश के आधार पर अवमानना याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने दस सितंबर 2007 को अंतरिम आदेश देते हुए कहा था कि गुर्जर नेता महापंचायत करने पहले जिला कलेक्टर से अनुमति लेंगे और रास्ता नहीं रोकेंगे। इस प्रार्थना पत्र पर कलेक्टर आदेश देते समय देखेंगे की नागरिकों के अधिकारों का हनन ना हो। वहीं राज्य सरकार इन अधिकारों का हनन रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करेगी। अदालत ने यह भी अंतरिम आदेश दिया था कि राज्य सरकार गुर्जर समुदाय के दबाव में इन्हें एसटी वर्ग में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को कोई पत्र नहीं लिखेगी।
ये गुर्जर नेताओं के खिलाफ थी याचिका
कर्नल किरोडी सिंह बैंसला, कैप्टन हरप्रसाद, कैप्टन जगराम सिंह, कैप्टर अतर सिंह, शिवचरण, भरतसिंह, लाखन सिंह गुर्जर, कैप्टन रामहरि, कैप्टन विजेन्द्र सिंह, उदल सिंह, भीमसिंह गुर्जर, कैप्टन अटरूप, अशोक धाभाई और प्रहलाद गुंजल सहित अन्य गुर्जर नेता।