कृषि भूमि को आवासीय में बदलकर पट्टा जारी नहीं करने का मामला
जोधपुर। जोधपुर विकास प्राधिकरण द्वारा उपभोक्ता की कृषि भूमि को आवासीय में बदलकर पट्टा जारी नहीं करने को राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र कच्छवाहा, सदस्य उर्मिला वर्मा व लियाकत अली ने सेवा में त्रुटि माना है। साथ ही पट्टा जारी करने के साथ ही मानसिक क्षति के 50 हजार रुपए भी देने के आदेश दिए है।
सर्किट आयोग जोधपुर के समक्ष राजेन्द्र तंवर, भोलाराम, सुखी देवी ने जोधपुर विकास प्राधिकरण, जिला कलक्टर व तहसीलदार लूणी के विरूद्व अपील प्रस्तुुत कर बताया कि उन्होंने अपने स्वामित्व की कृषि भूमि को नियमानुसार राशि जमा करवाकर आवासीय पट्टा जारी करने का आवेदन किया। परिवादियों ने आवासीय पट्टे संबंधी समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर दी तथा समस्त दस्तावेज, अनापत्ति प्रमाण पत्र, शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिए लेकिन पट्टा जारी नहीं हुआ।
इसी आधार को लेकर परिवादियों ने पूर्व मे जिला आयोग में परिवाद प्रस्तुुत किया था जिसे जिला आयोग ने अस्वीकार कर दिया था। आयोग के समक्ष प्रस्तुत अपील में आवासीय पट्टा जारी करने का निवेदन किया। परिवादियों द्वारा पूर्व में भी आयोग के समक्ष उक्त आधारों पर अपील प्रस्तुत की गई थी जिसमें परिवादियों की अपील को स्वीकार किया था लेकिन आयोग द्वारा निर्णय एकल सदस्य का होने के आधार पर विपक्षीगणों ने उच्च न्यायालय में एकल निर्णय को गलत बताते हुए अपील प्रस्तुत की थी जिसे उच्च न्यायलय ने स्वीकार कर वापस अपील का निस्तारण छह माह मे करने का आदेश दिया था।
आयोग की सर्किट बैंच ने परिवादियों द्वारा प्रस्तुत अपील को स्वीकार करते हुए अपने निर्णय मे कहा कि विपक्षी संख्या दो जिला कलक्टर परिवादियों की कृषि भूमि का रूपान्तरण आवासीय में परिवर्तित करे तथा यदि इस संबंध में पत्रावली उपलब्ध नही हो तो जेडीए व तहसीलदार से पत्रावली मंगवाकर पट्टे जारी करने की कार्यवाही करे। जिला मंच के निर्णय को अपास्त किया गया तथा परिवादियों को हुई मानसिक परेशानी के लिये 50 हजार रुपए एवं परिवाद व्यय के 10 हजार रुपए भी देने के निर्देश दिए।