जयपुर, 30 अक्टूबर। जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने निर्माण एग्रीमेंट के अनुसार काम नहीं होने और मकान के निर्माण में बिल्डर द्वारा छोड़ी कमियों को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस व सेवा में कमी करार दिया है। वहीं आयोग ने बिल्डर, मैसर्स देव बिल्ड एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्देश दिया कि वह परिवादी को मकान निर्माण की कमियों को सही करने के लिए तीन लाख रुपए परिवाद दायर करने की तारीख से 9 प्रतिशत ब्याज सहित दे। वहीं इस दौरान परिवादी को हुई परेशानी के लिए भी उसे अलग से 60 हजार रुपए एक महीने में दे। आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्या हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश अंसल सुशांत सिटी निवासी प्रीतम सिंह भाटी के परिवाद पर दिया। आयोग ने कहा कि परिवादी व विपक्षी बिल्डर के बीच मकान निर्माण के संबंध में एग्रीमेंट होता है तो उसमें विभिन्न कार्यों को करने की भी बाध्यता होती है। पत्रावली में शामिल फोटो से स्पष्ट है कि विपक्षी ने निर्माण कार्य को सही तरीके से नहीं किया है। मामले के अनुसार, परिवादी ने 20 जुलाई 2018 को अपने मकान निर्माण के लिए विपक्षी से एग्रीमेंट किया और 15 जुलाई को एक लाख रुपए उसे दे दिए। इसके बाद भी परिवादी ने उसे निर्माण कार्य के लिए समय-समय पर राशि का भुगतान किया। लेकिन 15 फरवरी 2019 तक निर्माण कार्य पूरा नहीं किया और 8 फरवरी 2019 को निर्माण कार्य रोक दिया। बाद में पुन: राशि लेकर 15 दिन में काम पूरा करने के लिए कहा, लेकिन नहीं किया और मना कर दिया। परिवादी ने अन्य ठेकेदार से बात की तो उसने निर्माण में कॉलम को सही खड़ा नहीं करने, बजरी के साथ मिट्टी काम में लेना और रोड़ी की जगह भी ईंट के टुकड़े उपयोग में लेना बताया। इसके अलावा बाथरूम की टाइल व लाइट फिटिंग के काम भी कमी छोड़ी। निर्माण की इन कमियों को दूर करने का खर्चा तीन लाख रुपए बताया। विपक्षी बिल्डर के इस सेवादोष को परिवादी ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी।
2023-09-30