उपभोक्ता आयोग का फैसला एफडीआई की राशि नहीं देने पर बैंक दोषी, अदा करें हर्जाना

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नागौर (प्रमोद आचार्य) । एफडीआर की परिपक्वता पर उपभोक्ता को परिपक्वता राशि नहीं देना स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया (भारतीय स्टेट बैंक) को भारी पड़ गया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नागौर ने दो मामलों में बिरलोका की भारतीय स्टेट बैंक पर जुर्माना लगाया है। बैंक ने इस मामले में आयोग के समक्ष प्रतिरक्षा में कहा कि एफडीआर की राशि बैंक में जमा नहीं होने से बैंक परिपक्वता राशि देने को उतरदायी नहीं है, जबकि आयोग ने माना कि विधिवत् रूप से एफडीआर जारी होने से बैंक एफडीआर की परिपक्वता राशि मय ब्याज देने को बाध्य है। उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में राशि के गबन के दृष्टिगत बैंक से कहा कि यदि इस मामले में बैंक के ही किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी ने एफडीआर की राशि बैंक में जमा न कर गबन किया है तो बैंक सम्बन्धित अधिकारी अथवा कर्मचारी के विरूद्ध समुचित विधिक कार्रवाई एवं राशि वसूलने को स्वतंत्र है।

यह था मामला

साटिका कला, तहसील खींवसर निवासी रामूराम एवं गायड़सिंह दोनों ने आयोग के समक्ष अलग अलग परिवाद पेश कर बताया कि 04 मार्च, 2016 को वे स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, शाखा बिरलोका (वर्तमान भारतीय स्टेट बैंक, बिरलोका) में केसीसी बनवाने गये तो वहां मौजूद मैनेजर ने उन पर एफडीआर का दबाव डालते हुए कहा कि यदि वे एक-एक लाख की एफडीआर बनवाते हैं तो उनकी केसीसी बना दी जाएगी। इस पर उन्होंने एक-एक लाख की एफडीआर बनवा ली और बैंक ने भी उनकी केसीसी बना दी। एफडीआर की एक वर्ष की परिपक्वता अवधि पूर्ण होने पर वे दोनों बैंक में परिपक्वता राशि लेने गये तो बैंक ने उन्हें परिपक्वता राशि देने से मना कर दिया। बैंक की प्रतिरक्षा को नहीं माना आयोग के समक्ष बैंक ने रामूराम व गायड़सिंह दोनों को एफडीआर जारी करना स्वीकार करते हुए प्रतिरक्षा ली कि उक्त दोनों मामलों में एफडीआर की राशि बैंक में जमा नहीं हुई है, बल्कि बैंक द्वारा बिना रूपये लिए विश्वास व सद्भावना के आधार पर दोनों एफडीआर जारी कर दी गई है, इसलिए बैंक एफडीआर की राशि देने को बाध्य नहीं है।

आयोग ने ये सुनाया फैसला

आयोग के अध्यक्ष नरसिंह दास व्यास, सदस्य बलवीर खुड़खुड़िया एवं चन्द्रकला व्यास ने उक्त दोनों निर्णयों में कहा कि बैंक परिवादी/उपभोक्ता को एक माह में एफडीआर की परिपक्वता राशि समस्त परिलाभों एवं ब्याज सहित अदा करे। आयोग ने मानसिक वेदना व परिवाद व्यय के रूप में दोनों मामलों में बैंक पर दस-दस हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया। आयोग ने दिखाई सख्ती आयोग ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एफडीआर राशि की अदायगी नहीं कर बैंक दायित्व से मुकर नहीं सकती। कारण कि इस मामले में बैंक ने विधिवत् एफडीआर जारी की है, तो अब वह राशि देने के लिए बाध्य व विबंधित है। अस्वीकार्य, अग्राह्य व अपवर्जित करते हुए कहा कि इस मामले में राशि बैंक में जमा नहीं कर किसी अधिकारी या कर्मचारी ने दुर्विनियोग या गबन किया है तो बैंक उनके विरूद्ध समुचित विधिक कार्यवाही करने तथा नियमानुसार राशि वसूलने को स्वतंत्र है।

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