कर्नाटक फतेह से उत्साहित कांग्रेस की नजर अब राजस्थान, एमपी व छत्तीसगढ़ पर

Share:-

राजस्थान में कड़ा मुकाबला : गहलोत-पायलट विवाद निपटाए बिना कांग्रेस की उम्मीद बेमानी तो भाजपा के पास बड़े मुद्दे का अभाव
-प्रदेश में 30 साल में सत्ताधारी पार्टी अभी तक नहीं हुई रिपीट, गहलोत इसे तोडऩे की कर रहे कोशिश
-कांग्रेस में खुलकर गुटबाजी तो भाजपा में अंदरखाने, स्थानीय मुद्दों के बजाए भाजपा केंद्रीय योजनाओं को लेकर उतरेगी चुनाव में
-प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल नहीं

जयपुर, 13 मई : कर्नाटक फतेह करने पश्चात कांग्रेसियों में उत्साह का नया संचार हुआ है। दक्षिण फतेह के बाद कांग्रेस ने राजस्थान, एमपी व छत्तीसगढ़ पर अपनी निगाहें जमा ली है। कर्नाटक में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने यह भी साफ कर दिया कि वह स्थानीय मुद्दों व विकास के मॉडल पर चुनावी मैदान में उतरेगी। राजस्थान की बात करें तो 30 साल में यहां कभी भी सत्ताधारी पार्टी रिपीट नहीं हुई है। बावजूद सीएम अशोक गहलोत आक्रमक तरीके से इस समय आधे से अधिक प्रदेश को नाप चुके हैं। नए जिले-संभाग के साथ ही बजट में सौगातों की बौछार और महंगाई राहत कैंप के जरिए लोगों तक पहुंच बनाने में जुटे हुए हैं। बावजूद कांग्रेस के लिए चुनाव जीतने की डगर इसलिए मुश्किल आ रही है कि गहलोत व पायलट के बीच जो घमासान मचा है उससे संभव नहीं कि कांग्रेस सत्ता तक का रास्ता तय कर लें। उम्मीद है कि अब कांग्रेस हाईकमान जल्द से जल्द इस विवाद को निपटाने पर अपना फोकस करेगा। हालांकि प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल नहीं होने से भाजपा कड़ी टक्कर मान रही है। वहीं उसमें गुटबाजी तो है लेकिन अंदरखाने। यहां पर सीएम फेस को लेकर लड़ाई है और इसी के चलते भाजपा ने मोदी के नाम व उनके फेस पर ही चुनाव में जाने का निर्णय लिया है। कुल मिलाकर राजस्थान का विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के बीच ही सीधी टक्कर है। वहीं पायलट के अगले रूख पर भी सभी की नजर है। राजस्थान में

विधानसभा चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
कर्नाटक फतेह के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर भी रौनक देखने को मिली और कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बनता था। कर्नाटक जीत के लिए पार्टी राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा को श्रेय दे रही है। साथ ही वह कर्नाटक पैर्टन पर प्रदेश में भी चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश करेगी। इस जीत से कांग्रेसियों का कॉफिडेंस अवश्य बढ़ा है लेकिन प्रदेश में सीएम गहलोत व पायलट के बीच जो शीत युद्ध चल रहा है यह उनके लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। इस समय कांग्रेस को सबसे अधिक कोई नुकसान पहुंचा रहा है, तो वह पायलट ही है। हालांकि अब कांग्रेस हाईकमान जल्द से जल्द गहलोत व पायलट को बुलाकर उनके बीच व्याप्त दूरियां पाटने की भरसक कोशिश करेगी। कांग्रेस को यह बात भलीभांति परिचित है कि यदि दोनों एक हो गए तो वह भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकेंगे। साथ ही वह इन दोनों में से किसी को भी छोडऩे के मूड में नहीं है। अब इन दोनों को समझाने के लिए कांग्रेस हाईकमान क्या निर्णय करता है इस पर सभी की नजर है। भाजपा में देखने में तो सब कुछ सामान्य नजर आ रहा है लेकिन यहां पर सीएम बनने को लेकर जमकर लामबंदी का खेल चल रहा है। भाजपा में सीएम की रेस में चल रहे नेता अंदरखाने ही एक-दूसरे की जड़े काटने में लगे हुए हैं। भाजपा के लिए यही सबसे खतरनाक है, हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि कोई सीएम की दावेदारी नहीं करेगा। चुनाव सिर्फ मोदी के फेस व उनके काम से लड़ा जाएगा। बावजूद भाजपा में अंदर-खाने शह-मात देने का खेल बदसूरत जारी है।

सीएम का ट्वीट..
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में जो माहौल दिखा था आज उसी का नतीजा कर्नाटक के चुनाव परिणाम में स्पष्ट दिख रहा है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधीा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने शानदार कैंपेन किया। कर्नाटक ने सांप्रदायिक राजनीति को नकार कर विकास की राजनीति को चुना है। आने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी इसकी पुनरावृत्ति होगी।
गहलोत-पायलट एक होने की हो रही सोशल मीडिया पर अपील
सीएम गहलोत ने जब कर्नाटक को लेकर ट्वीट किया तो वह ट्रेंड होने लगा। लोगों ने उस पर जमकर प्रतिक्रियाएं दी। अधिकतर का कहना था कि यदि राजस्थान फतेह करना है, तो गहलोत व पायलट को एक हो जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है कि यदि अलग-अलग राह पर चले तो कांग्रेस का पतन निश्चित है। कईयों ने कहा कि तीसरे के बजाए इन दोनों को ही आपस में बैठकर अपने मुद्दे सुलझाने की पहल करनी चाहिए।

भाजपा केंद्र की योजनाओं को तो गहलोत स्थानीय मुद्दों को लेकर उतरेंगे मैदान में
राजस्थान की बात करें तो यहां पर अभी तक गहलोत सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी नजर नहीं आ रही है। दूसरी तरफ गहलोत ने सरकार का खजाना लोगों के लिए खोल सा दिया है। कांग्रेस को घेरने के लिए भाजपा के पास कोई बड़े मुद्दे भी नहीं है। इसी के चलते वह केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने की मंशा बनाए हुए हैं। अब यह लोगों को देखना होगा कि वह केंद्र की योजनाओं को देखकर विधानसभा चुनाव में वोटिंग करेंगे या फिर राज्य के मुद्दे व यहां हुए विकास कार्य को लेकर।

पायलट की मांगे मानना मजबूरी
सचिन पायलट कहते हैं कि कर्नाटक में भाजपा पर कांग्रेस ने जो आरोप लगाए, 40 परसेंट कमीशन का मुद्दा उठाया, जनता ने विश्वास किया। उसी प्रकार से जब हमने राजे सरकार के घोटाले, शराब माफिया, बजरी माफिया के मामले उठाए थे तो 2018 में हमें मौका मिला। यदि हम इन मुद्दों पर कार्रवाई नहीं करेंगे तो फिर 2023 में लोग कैसे हमें वोट देंगे। यानि पायलट की मांगों पर सरकार को अपने कदम आगे बढ़ाना होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *