जयपुर, 3 अक्टूबर। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर बयानबाजी करने के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश कर दिया है। उनके बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए सीजे एसी मसीह और जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने शिवचरण गुप्ता की जनहित याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई रखी है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से उनके अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। जवाब में कहा गया कि उनका न्यायपालिका में पूरा भरोसा है और वे खुद भी वकील रह चुके हैं। पिछले कुछ सालों में उन्होंने पूर्व न्यायाधीशों और सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जजों के न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर दिए बयानों को पढा है। वहीं आमजन भी उन्हें इस संबंध में जानकारी देते हैं। उन्होंने पूर्व जजों के बयानों को देखते हुए ही गत तीस अगस्त को सद्भावी रूप से न्यायपालिका में करप्शन की बात कही थी। उनका कानून में पूरा विश्वास है, फिर भी यदि कोर्ट को लगता है कि उनके बयान से आमजन के मन में न्यायपालिका की छवि खराब हुई है तो वे इसके लिए बिना शर्त माफी मांग लेते हैं।
जवाब में कहा गया कि पचास साल के सार्वजनिक जीवन में केन्द्र में मंत्री के साथ ही वे प्रदेश में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। उनकी ओर से बयान देने के बाद उसकी गलत तरीके से रिपोर्टिंग हुई। वहीं उन्होंने 31 अगस्त को इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण भी दिया था। इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने इस स्पष्टीकरण को अदालत के सामने रिकॉर्ड पर नहीं रखा। सीएम की ओर से गुहार की गई कि उनके जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए जनहित याचिका को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 7 नवंबर को तय की है।
गौरतलब है कि पूर्व न्यायिक अधिकारी और हाईकोर्ट में वकालत करने वाले शिवचरण गुप्ता ने जनहित याचिका पेश की है। जिसमें मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया कि सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में करप्शन को लेकर बयानबाजी की है। जिससे न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंची है। ऐसे में उनके खिलाफ स्वप्रेरणा से अवमानना की कार्रवाई अमल में लाई जाए।