देश तेजी से बदल रहा है, हमें भी वक्त के साथ बदलना चाहिए- सीजेआई

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जयपुर, 14 अक्टूबर। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश बहुत तेजी से बदल रहा है और तकनीक का व्यापक स्तर पर उपयोग हो रहा है। ऐसे में न्यायपालिका को भी वक्त के साथ बदलना चाहिए। हमें नई तकनीक के इस्तेमाल को लेकर हिचक नहीं होनी चाहिए। वीसी के जरिए एक जगह बैठा हुआ वकील देश की किसी भी अदालत में पैरवी कर सकता है। आज लिफ्टमैन, ड्राइवर की संतान सीए, कंप्यूटर इंजीनियर और चिकित्सक हैं। यह भारत के बदलाव का नया चेहरा है। उन्होंने आरटीआई कानून के लिए किए गए आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि इसके कारण ही पारदर्शिता का कानून लागू हो पाया है। सीजे चन्द्रचूड शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट की स्थापना को लेकर आयोजित प्लेटिनम जुबली समारोह में संबोधित कर रहे थे ।

उन्होंने प्रदेश की न्यायपालिका में कोविड के दौरान आए बदलाव का हवाला देते हुए कहा कि इस दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने वीसी के जरिए देशभर में ज्यादा केसों की सुनवाई की। वहीं उन्होंने राजस्थान के जिला न्यायालयों में महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में बढोतरी की तारीफ करते हुए कहा कि प्रदेश के 1344 न्यायिक अफसरों में से 562 महिला न्यायिक अफसर हैं। इसके अलावा वर्ष 2021 की न्यायिक अफसर भर्ती में चयनित 120 न्यायिक अफसरों में से 71 महिलाएं हैं। हालांकि उन्होंने हाईकोर्ट में वकील कोटे से केवल दो महिला जजों की नियुक्ति होने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि वकालत के पेशे में महिलाओं को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ट्रायल कोर्ट को अधीनस्थ अदालत कहने के बजाए जिला न्यायालय कहना चाहिए। उन्होंने जोधपुर मुख्यपीठ व जयपुर पीठ में वीसी के जरिए एक ही केस की सुनवाई दो जजों द्वारा एक साथ करने की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह तकनीक के उपयोग का अच्छा उदाहरण है।

पेपर लैस कोर्ट व टेलीग्राम चैनल लांच- समारोह के दौरान सीजेआई ने हाईकोर्ट और जयपुर की कमर्शियल कोर्ट को पेपर लैस करने की लांचिंग की। इसके अलावा वकीलों व पक्षकारों को सूचनाएं मुहैया कराए जाने के लिए टेलीग्राम चैनल भी लांच किया गया। वहीं प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन के लिए लोगो एंड मोटो भी लांच किया गया।
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट ने कहा कि यह प्रदेश दुनिया के 133 देशों से बडा है। यहां कि अपनी समस्याएं हैं। यहां कुल 353 कोर्ट कॉम्पलेक्स हैं, जिनमें संसाधनों की पहुंच बनाना कठित हैं। इसके बावजूद भी यहां शानदार काम हो रहा है। उन्होंने सांगानेर खुली जेल की तरह अन्य राज्यों में भी खुली जेल खोले जाने की आवश्यकता की बात कही।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि 75 साल की उम्र में व्यक्ति अपने अनुभव नई पीढी से साझा करता है। हाईकोर्ट भी अब इस उम्र में आ गया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मित्थल ने कहा कि यह वह प्रदेश हैं, जहां चेतक के रूप में घोड़े की स्वामिभक्ति की पूजा की जाती है। आज न्यायपालिका का भारतीयकरण किया जा रहा है। दिसंबर माह तक सुप्रीम कोर्ट के 35 हजार फैसलों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। वहीं भारतीयकरण के तहत सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की साडी में प्रतिमा दर्शाई गई है। जिसके हाथ में तलवार और तराजू ना होकर संविधान की पुस्तक को दिखाया गया है। जरूरत है कि इसके साथ ही गीता की पुस्तक भी दिखाई जाए। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि जयपुर में हाईकोर्ट की स्थापना को लेकर जोधपुर के वकीलों का माह के अंतिम दिन न्यायिक बहिष्कार करना उचित नहीं है।

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