अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया की सबसे ताकतवर कंपनी कौन सी है? जवाब में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा से लेकर अमेजन और टेस्ला तक का नाम आएगा।
लेकिन अगर हम कहें कि दुनिया की सबसे ताकतवर कंपनी का नाम आपने शायद ही सुना होगा। ये है नीदरलैंड्स की कंपनी एडवांस्ड सेमीकंडक्टर मटेरियल लिथोग्राफी (ASML)…नहीं सुना ना नाम!
लेकिन ये कंपनी आपके जीवन के हर उस हिस्से जुड़ी है जहां आप इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का इस्तेमाल करने वाले किसी भी डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं।
आज आपके हाथ के मोबाइल से लेकर स्पेस सैटेलाइट और जंग की मिसाइल तक हर चीज डिजिटल चिप से कंट्रोल होती है। चिप बनाने वाली तो कई कंपनियां दुनिया में हैं। मगर ये चिप जिस मशीन के जरिये बनती है, वो मशीन बनाने वाली दुनिया में सिर्फ एक ही कंपनी है। यानी दुनिया अगर चिप पर निर्भर है तो चिप की मैन्युफैक्चरिंग को यही एक कंपनी कंट्रोल कर सकती है।
इस कंपनी की ताकत का अंदाजा इसी से लगाइए कि चीन के खिलाफ अमेरिका का सबसे ताजा हथियार ASML ही है।
इसी साल जनवरी में अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स ने एक समझौता किया है। इसके तहत ये तय किया गया है कि चीन को एडवांस्ड डिजिटल चिप बनाने के लिए कोई मदद नहीं दी जाएगी।
अमेरिका और जापान के इस समझौते में शामिल होने का मतलब है कि चिप की टेक्नोलॉजी और कच्चा माल मिलना चीन के लिए मुश्किल हो जाएगा। मगर नीदरलैंड्स के इस समझौते में शामिल होने का सीधा मतलब ये है कि चीन को चिप बनाने की मशीनें ही नहीं मिलेंगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में दुनिया का हर देश इलेक्ट्रानिक सेमीकंडक्टर चिप्स के बाजार को कंट्रोल करना चाहता है। इस ताकत को समझते हुए ही भारत में भी सरकार ने सेमीकंडक्टर्स इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए नई योजनाएं शुरू की हैं।