उदयपुर, 04 अक्टूबर(ब्यूरो): यहां एमबी अस्पताल के ब्लड बैंक की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिसमें यहां बाल चिकित्सालय में भर्ती मध्यप्रदेश के दो साल के एक बच्चे को एचआईवी पॉजीटिव ब्लड़ चढ़ाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इसकी पुष्टि ब्लड बैंक और वार्ड में चढ़ाए गए ब्लड का रिकार्ड करता है किन्तु ब्लड बैंक प्रभारी तथा कर्मचारी इससे साफ इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस ब्लड नंबर का रिकार्ड दर्ज हैं, उसे पहले ही नष्ट कर दिया गया था और दूसरा ब्लड चढ़ाया गया।
मिली जानकारी के अनुसार यह घटना 30 सितम्बर की है। जब मध्यप्रदेश के जावरा का एक परिवार अपने दो वर्षीय बालक का उपचार कराने एमबी अस्पताल के बाल चिकित्सालय लाया था। डेंगू रोग से पीड़ित बच्चे के शरीर में प्लेटनेट्स कम होने पर उसे ब्लड चढ़ाए जाने का सुझाव दिया गया था। इसके लिए परिवार ने एमबी अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड मांगा। जिसे 19653 और 19654 नंबर का ब्लड दिया गया। यही नंबर ब्लड बैंक के रिकार्ड में ही नहीं, बल्कि उस वार्ड में है, जिसमें बच्चे को ब्लड चढ़ाया गया। ब्लड बैंक के रिकार्ड के अनुसार 19653 नंबर का ब्लड रीएक्टिव यानी एचआईवी पॉजीटिव था। जिसे किसी भी व्यक्ति को नहीं चढ़ाया जा सकता।
इस मामले में ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ.संजय प्रकाश का कहना है कि यह घटना तब की है, जब वह अवकाश पर थे। उन्होंने रिकार्ड और ब्लड उपलब्ध कराए जाने की जानकारी दी। उनका कहना है कि रिकार्ड में भले ही 19653 नंबर का ब्लड अंकित है, लेकिन इसे पहले ही नियमानुसार नष्ट कर दिया गया था। इसके विपरीत बच्चे को 19658 नंबर का ब्लड चढ़ाया गया लेकिन उनके इस तथ्य की पुष्टि उस वार्ड से नहीं होती, जहां ब्लड चढ़ाया गया। वहां रिकार्ड में डॉ. हर्ष बुनकर की सील और हस्ताक्षर सहित साफ अंकित है कि बाल रोगी को 19653 नंबर का ब्लड चढ़ायचा गया। इस पर ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. संजय प्रकाश का कहना है कि यह सब रिकार्ड में संशोधन नहीं हो पाने की वजह से हुआ है। हालांकि उन्होंने 19653 नंबर का ब्लड देने वाले डोनर को भी बुलाया है, ताकि इसकी जांच हो पाएं कि वह रीएक्टिव था या नहीं। उल्लेखनीय है कि ब्लड को जारी करने तथा उसे किसी को चढ़ाने को लेकर उसके नंबर का उल्लेख तीन जगह किया जाता है।
2023-10-04