जोधपुर। चेक बाउन्स के मुकदमे में मिली सजा व जुर्माने को राजस्थान हाईकोर्ट ने स्थगित कर आरोपी को जमानत दी है।
मथानिया में बोलों का बेरा आतुनेड़ा निवासी दलपत सिंह परिहार के खिलाफ परिवादी धर्मसागर बेरा मथानिया निवासी सेठाराम माली ने दो जून 2016 को विशिष्ट महानगर मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट प्रकरण) संख्या-5 जोधपुर महानगर में एक परिवाद पेश किया था कि दलपत सिंह परिहार ने उससे वर्ष 2015 में तीन लाख 75 हजार रुपए उधार लिए थे, जिसके भुगतान के लिए उसने जो चेक दिया था वह खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं होने से बिना भुगतान के अनादरित होकर लौट आया था। इस परिवाद में परिवादी ने अपने बयान कराए थे जिसके बाद दलपत सिंह परिहार ने परिवादी के बयानों को गलत बताते हुए न्यायालय को यह बताया कि परिवादी उसकी भाभी का भाई लगता है। उसके भाई माधुराम व भाभी की उससे नहीं बनती थी। मुल्जिम के घर पर उसके 49 चेक रखे थे, वो सभी चेक उसकी भाभी ने चुराकर अपने भाई परिवादी सेठाराम को दे दिए थे जिसमें से एक चेक भरकर उसने यह झूठा परिवाद दर्ज कराया हैं। न्यायालय ने अन्तिम बहस सुनकर दलपत सिंह परिहार को धारा 138 एनआई एक्ट में एक साल का साधारण कारवास तथा 4 लाख 20 हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया था। दलपत सिंह परिहार ने उस फैसले के खिलाफ सेशन न्यायालय जोधपुर महानगर में एक फौजदारी अपील पेश की थी जो अन्तरित होकर न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश संख्या 7 जोधपुर महानगर द्वारा सुनी जाकर विचारण न्यायालय द्वारा दी गई सजा की पुष्टि की थी।
इन दोनों कोर्ट के सजा व जुर्माने के फैसलों के खिलाफ एडवोकेट निखिल भण्डारी ने दलपत सिंह परिहार की ओर से फौजदारी निगरानी याचिका तथा सजा स्थगन का प्रार्थना-पत्र हाईकोर्ट में पेश कर बताया कि अधीनस्थ दोनों न्यायालयों के फैसलों की कानूनी वैधता तथा उसके सही या गलत होने की विवेचना राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा की जानी हैं। एडवोकेट निखिल भण्डारी ने यह भी बताया कि अपीलेट कोर्ट में मुल्जिम की ओर से पहले से ही चेक की 10 प्रतिशत की राशि जमा कराई जा चुकी हैं तथा अब वे मुल्जिम की ओर से चैक की 40 प्रतिशत राशि और जमा कराने को तैयार हैं, इसलिए मुल्जिम की निगरानी याचिका की सुनवाई के दौरान अभी उसको मिली सजा व जुर्माने को स्थगित किया जाकर उसे जमानत पर छोड़े जाने का आदेश प्रदान किया जाए। इस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस फरजंद अली ने मुल्जिम दलपत सिंह परिहार को दी गई सजा व जुर्माने को स्थगित करते हुए उसे जमानत पर छोड़े जाने का आदेश पारित किया।