OpenAI के को-फाउंडर सैम ऑल्टमैन के चैलेंज

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IT कंपनी टेक महिंद्रा के CEO सीपी गुरनानी ने OpenAI के को-फाउंडर सैम ऑल्टमैन के चैलेंज को एक्सेप्ट किया है। दरअसल, हाल ही में सैम ऑल्टमैन ने कहा था कि ChatGPT जैसा AI प्लेटफॉर्म बनाना भारतीय कंपनियों के बस में नहीं है।

इकोनॉमिक टाइम्स के इवेंट में एक सवाल का जवाब देते हुए ऑल्टमैन ने कहा, ‘भारत के लिए ChatGPT जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स बनाने की कोशिश करना निराशाजनक है।’

राजन आनंदन के सवाल पर ऑल्टमैन ने कही थी ये बात
गूगल इंडिया के पूर्व प्रमुख राजन आनंदन ने ऑल्टमैन से सवाल करते हुए गाइडेंस मांगी थी। उन्होंने पूछा था, ‘सैम, भारत में हमारे पास एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम है, लेकिन हम विशेष रूप से AI पर फोकस कर रहे हैं। हमें इसके बारे में कैसे सोचना चाहिए? भारतीय स्टार्ट्अप्स को इस दिशा में काम करने के लिए किस तरह से काम करना चाहिए?’

इसका जवाब देते हुए ऑल्टमैन ने कहा था, ‘OpenAI से कंपीट करना असंभव है। हम आपको स्पष्ट रूप से बताएंगे कि ट्रेनिंग फाउंडेशनल मॉडल में चैलेंज करना पूरी तरह से निराशाजनक है। आपको इसकी कोशिश भी नहीं करना चाहिए। हालांकि, यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अभी भी कोशिश करें। मैं मानता हूं कि सक्सेस की संभावना बहुत कम है।’

टेक-महिंद्रा के CEO ने सैम ऑल्टमैन ने कहा, ‘चैलेंज एक्सेप्टेड’
टेक-महिंद्रा के CEO सीपी गुरनानी ने सैम ऑल्टमैन के वीडियो को शेयर करते हुए चैलेंज एक्सेप्ट किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘OpenAI के फाउंडर सैम ऑल्टमैन ने कहा कि भारतीय कंपनियों के लिए उनके साथ कंपीट करना निराशाजनक है। डियर सैम एक CEO से दूसरे CEO तक.. चैलेंज एक्सेप्टेड।’

सैम ऑल्टमैन ने PM मोदी से मुलाकात की थी
सैम ऑल्टमैन ने 2 दिन पहले 8 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। ऑल्टमैन ने IIT दिल्ली में डिजिटल इंडिया डायलॉग्स इवेंट में प्रधानमंत्री के साथ हुए मुलाकात का एक्सपीरियंश भी शेयर किया था। उन्होंने कहा था प्रधानमंत्री मोदी के साथ मीटिंग काफी अच्छी रही, वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर काफी उत्साहित थे।

ChatGPT पर आप किस तरह के सवाल पूछ सकते हैं?
इससे आप कोई भी सवाल पूछ सकते हैं। यानी ईमेल लिखने से लेकर CV तक आप इससे बनवा सकते हैं। रील या अपनी वीडियो कैसे वायरल करना है, इसका भी जवाब ChatGPT देता है। वाइफ को क्या गिफ्ट दें, इस पर भी ChatGPT आपको सुझाव देता है।

ChatGPT लंबे जवाब की बजाय छोटे और सटीक शब्दों पूरी जानकारी देता है। किसी स्टूडेंट को डेमोक्रेसी पर एसे यानी निबंध लिखना है तो वह तुरंत ChatGPT पर टाइप करेगा Write an essay on democracy। इसके बाद आपके सामने पूरा एसे लिखा हुआ आ जाएगा।

ChatGpt की सीमाएं क्या हैं?
ChatGpt भले ही सभी तरह के सवालों का जवाब आसानी से देता हो, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं। ऐसे ही 4 सीमाओं के बारे में यहां जानते हैं…

सवालों के जवाब देने में कॉमन सेंस की कमी।
सवाल के जवाब देते समय रेफरेंस नहीं बताता है।
इमोशनल सिचुएशन को एनालिसिस करने में सफल नहीं है।
इसके लिए किसी चीज के कॉन्टेक्स्ट को समझना मुश्किल होता है।

AI इंसानों से 100 गुना ज्यादा काम कर सकती है:ChatGPT के जनक बोले- यह धरती पर सबसे कम भरोसेमंद, इंसान के जवाब ज्यादा रिलायबल

‘AI साइंस के जरिए खोजी गई सबसे ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी है। यह नए अवसर दे रही है। इंसान की तुलना में 100 गुना ज्यादा काम कर सकती है लेकिन इंसानों की इंटेलिजेंस और क्रिएटिविटी को कभी लांघ नहीं पाएगी…’ यह कहना है OpenAI के CEO और AI चैटबॉट ‘ChatGPT’ के क्रिएटर सैम ऑल्टमैन का। वे गुरुवार को दिल्ली के IIT में स्टूडेंट्स और फैकल्टी से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने AI से गढ़े जा रहे तथ्यों, रेगुलेशन और जॉब को AI प्रूफ कैसे बनाएं… जैसी चिंताओं का समाधान किया, जानिए विस्तार से…

ऑटोमेशन से नौकरी की सुरक्षा: इसके लिए मेटा स्किल्स पर फोकस करना होगा। इन्हें ट्रांसफरेबल या सॉफ्ट स्किल्स भी कहते हैं। AI बेस्ड लैंडस्केप में यह प्रोफेशनल सक्सेस का आधार हैं। ये टेक्निकल कॉम्पिटेंस से परे होते हैं। इनकी जरूरत इंडस्ट्री को हमेशा रहती है। क्रिटिकल थिंकिंग, कम्युनिकेशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग , कंपैटिबिलिटी, क्रिएटिविटी, लीडरशिप, इमोशनल इंटेलिजेंस जैसे स्किल इसी श्रेणी में आते हैं। AI स्पेसिफिक टास्क और प्रोसीजर को खुद से कर सकता है।

ChatGPT की रिलायबिलिटी : भले ही दुनियाभर में इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल यूजर्स लेटर लिखने, इमेज बनाने और कई नए-नए सवालों का जवाब पूछने में करते हैं। पर मुझे इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं है। इसकी तुलना में किसी इंसान द्वारा दिए गए जवाब पर ज्यादा भरोसा है। मुझे लगता है कि यह धरती पर सबसे कम भरोसेमंद है।
AI का प्रभाव : AI इंसानी प्रोडक्टिविटी को 100 गुना कर देगा, लेकिन इंसानो की क्रिएटिविटी को कभी नहीं हरा पाएगा। AI मॉडल्स चीजें गढ़ते हैं और उन्हें तथ्यों के रूप में पेश करते हैं। अपने मॉडल को दुरुस्त करने में हमें अभी एक साल का वक्त और लगेगा। क्रिएटिविटी और एक्यूरेसी के बीच संतुलन की जरूरत है, हम इस समस्या को कम से कम करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
AI पर रेगुलेशन : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए नियम बनाने जरूरी हैं। मैं अमेरिकी सरकार से भी इसकी वकालत कर चुका हूं। भले अभी के लिए छोटी कंपनियों और डेवलपर्स को इसके दायरे में नहीं रखा जाए, मगर बड़ी कंपनियों में इसके इस्तेमाल के लिए ऐसी सख्ती करनी बहुत जरूरी है। AI डेवलपर्स इस खतरे को सबसे ज्यादा समझते हैं। इसलिए रेगुलेशन की मांग भी सबसे ज्यादा वही कर रहे हैं।
नए मौके : AI निश्चित रूप से काम की प्रकृति को बदल देगा। साथ ही नए मौके भी देगा। AI की क्षमता को कॉप्लिमेंट्री टूल के रूप में भी ले सकते हैं जो हमारी क्षमताएं बढ़ाने में मदद करेगा।

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