शिवसेना-जेजेपी को झटका : भाजपा की बिना गठबंधन चुनाव फतेह करने की रणनीति

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-शिवसेना शिंदे उदयपुरवाटी तो जेजेपी को दांतारामगढ़ व फतेहपुर सीट मिलने की थी उम्मीद
-संगठन के भरोसे सत्ता तक का सफर तय करेगी बीजेपी, नेताओं को अधिक तवोज्जो नहीं
-जेजेपी नेता और बीजेपी प्रत्याशी सुभाष महिरया के भाई नंदकिशोर ने फतेहपुर से ठोंकी ताल

जयपुर, 11 अक्टूबर : मरुधरा को फतेह करने के लिए बीजेपी अकेले ही रणक्षेत्र में कूद चुकी है। हालांकि उस पर गठबंधन को लेकर शिवसेना शिंदे एवं जेजेपी नेताओं का खासा प्रेशर था, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। इन दोनों पार्टी की जिन सीट पर सबसे मजबूत दावेदारी थी वहां बीजेपी ने पहली ही लिस्ट में प्रत्याशी उतारकर इनको आइना दिखाते हुए अपने इरादे साफ कर दिए हैं। हालांकि शिवसेना शिंदे ने कभी खुलकर सीट नहीं मांगी, लेकिन जेजेपी व उसके नेता तो प्रदेश में लगातार सक्रिय थे। बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट से ही झटका देकर संकेत दे दिए हैं कि वह अपनी रणनीति से समझौता नहीं करेगी। हालांकि फतेहपुर से पूर्व सांसद बीजेपी प्रत्याशी सुभाष महरिया के भाई नंदकिशोर महरिया जेजेपी की टिकट पर चुनाव लडऩे को लेकर ताल ठोंक चुनाव कार्यालय भी खोलने का ऐलान कर चुके हैं।

जेजेपी व शिवसेना शिंदे से गठबंधन को लेकर बीजेपी संगठन पूरी तरह तैयार नहीं था। उसने अपनी रिपोर्ट पेश कर बताया था कि शिवसेना में लाल डायरी वाले राजेंद्र गुढ़ा उदयपुरवाटी से टिकट की दौड़ में थे और यदि उन्हें टिकट दी तो इसका पार्टी को नुकसान होगा। वहीं जेजेपी के लिए भी संगठन ने कहा कि उनका यहां कोई आधार नहीं है और जो जेजेपी नेता दांतारामगढ़, फतेहपुर से जिनके लिए टिकट मांग रहे हैं वह धरातल पर सक्रिय नहीं है। शीर्ष नेतृत्व ने संगठन की बात पर मुहर लगाते हुए फिलहाल गठबंधन करने से तौबा कर ली है। दूसरी ओर बीजेपी में शुरू से ही पार्टी के समांतर एक-दो नेता अपनी पावर दिखाते हुए चुनावी कमान हासिल करने के लिए हाथ-पैर मार रहे थे, लेकिन उनकी एक नहीं चली। शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया कि प्रदेश नेता जो आपसी प्रतिस्पर्धा, गुटबाजी व खेमेबाजी कर प्रेशर की पॉलिटिक्स कर रहे हैं उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बीजेपी ने अलग-अलग चार-पांच सर्वे कराए तो शीर्ष नेतृत्व ने अलग से अपना सर्वे कराया। वहीं संघ की रिपोर्ट को भी प्राथमिकता दी गई। इसके अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर का फीडबैक सब पर भारी रहा। उन्होंने बूथ, पन्ना, पेज कमेटी मैंबर से लेकर जिलाध्यक्ष, संभाग प्रभारी, मंडल प्रभारी सहित उन सभी लोगों से फीडबैक लिया जो धरातल पर सक्रिय थे और इसी लिस्ट पर पीएम ने मुहर लगाई।

रीटा सिंह व नंदकिशोर के सपने अधूरे
पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की बहू डॉ. रीटा सिंह अपने विधायक पति वीरेंद्र सिंह के खिलाफ दांतारामगढ़ से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहीं थी। इसके लिए जेजेपी का दामन थामा था। इसी प्रकार जेजेपी की टिकट पर नंदकिशोर महरिया फतेहपुर से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे। बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन नहीं हुआ। वहीं बीजेपी ने दांतारामगढ़ से गजानंद कुमावत तो फतेहपुर से श्रवण चौधरी को टिकट देकर दोनों के सपनों पर पानी फेर दिया। हालांकि नंदकिशोर अब भी जेजेपी की टिकट पर चुनाव लडऩे का दावा एवं चुनाव कार्यालय खोलने की बात कह रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो श्रवण के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। नंदकिशोर पूर्व सांसद एवं वर्तमान में लक्ष्मणगढ़ के बीजेपी प्रत्याशी सुभाष महरिया के भाई हैं।

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