जन्मजात विसंगति के आधार पर मेडिक्लेम दावा खारिज नहीं कर सकती बीमा कंपनी

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मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस को मेडिक्लेम क्लेम देने का आदेश
जोधपुर। स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में व्यवस्था दी है कि जन्मजात विसंगति या आनुवंशिक बीमारी के आधार पर बीमा कंपनी मेडिक्लेम दावा खारिज नहीं कर सकती है। अदालत के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार शर्मा और सदस्य जेठमल पुरोहित व माणक लाल चांडक ने मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के खिलाफ दायर प्रकरण को मंजूर करते हुए निर्देश दिया कि प्रार्थी को दावा राशि 2 लाख 49 हजार 693 रुपए मय 9 फीसदी ब्याज और पांच हजार रुपए वाद व्यय 30 दिन में अदा करें।
प्रकरण के अनुसार पालरोड निवासी बीमाधारी ने जनवरी 2015 में बॉम्बे हॉस्पिटल में ब्रेन सर्जरी करवाई और बीमा कंपनी के यहां 2 लाख 49 हजार 693 रुपए का दावा मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत पेश किया। बीमा कंपनी ने यह कहकर 17 जनवरी 2018 को दावा खारिज कर दिया कि प्रार्थी को हुई बीमारी जन्मजात विसंगति है सो यह पॉलिसी में अपवर्जित होने से दावा देय नहीं है। प्रार्थी की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि जन्मजात विसंगति या आनुवंशिक रोग किसी भी जन्मजात बच्चे के हाथ में नहीं है और बीमा पॉलिसी में इस प्रकार की जोखिम आवरित नहीं किया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण ने इस प्रकार की शिकायतों को देखते हुए 19 मार्च 2018 को सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिए कि जन्मजात विसंगति या आनुवंशिक रोग के दावे खारिज नहीं किए जाएं। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि इरडा का यह आदेश कल्याणकारी होने से भूतलक्षी प्रभाव से लागू किया जाएं और दावा खारिज आदेश को निरस्त किया जाएं। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि प्रार्थी ने बीमा करवाते वक्त अपनी जन्मजात बीमारी को छिपाया है और इरडा का आदेश दावा खारिज होने के बाद का है सो प्रकरण खारिज किया जाएं।

स्थाई लोक अदालत ने प्रकरण को मंजूर करते हुए कहा कि इरडा का आदेश बीमाधारकों के लाभ और हितार्थ में जारी किए जाने से इसे पिछली तिथि यानी भूतलक्षी प्रभाव से लागू मानते हुए प्रार्थी लाभ प्राप्त करने का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जन्मजात विसंगति के आधार पर बीमा कंपनी मेडीक्लेम पॉलिसी के तहत जोखिम के दायित्व को अपवर्जित नहीं कर सकती है सो दावा खारिज करने के आदेश को निरस्त करते हुए बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि 30 दिन में प्रार्थी को दावा राशि 2 लाख 49 हजार 693 रुपए और 2 अप्रैल 2018 से 9 फीसदी ब्याज और पांच हजार रूपए वाद व्यय अदा करें।

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