जयपुर, 29 सितंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी तरह की जमानत याचिकाओं में शिकायतकर्ता या पीडित पक्ष को आवश्यक तौर पर पक्षकार बनाए जाने के संबंध में दो मत होने के चलते इस मामले को सीजे को भेजा है। इसके साथ ही अदालत ने सीजे से आग्रह किया है कि वे इस मुद्दे को खंडपीठ या लार्जर बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजें। जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने यह आदेश मारपीट व गैर इरादतन हत्या के प्रयास सहित अन्य अपराध से जुडे मामले में आरोपी पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं पर दिए।
अदालत ने रजिस्ट्रार, न्यायिक को कहा है कि वे इस मामले को सीजे के समक्ष रखें ताकि वे इस मुद्दे को तय करने के लिए उचित पीठ बनवा कर यह तय करवा सकें।
मामले के अनुसार हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एक अन्य मामले में गत 8 अगस्त को आदेश दिए थे कि सभी जमानत याचिकाओं में पीडित को भी पक्षकार बनाया जाए, ताकि वह भी अपना पक्ष रख सके। इसके साथ ही एकलपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को भी इस संबंध में निर्देश जारी करने का आदेश दिया था। जिसकी पालन में हाईकोर्ट प्रशासन ने 15 सितंबर को आदेश जारी कर सभी तरह की जमानत याचिकाओं में पीडित या शिकायतकर्ता को भी जरूरी तौर पर पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को ध्यान दिलाया गया कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने पीडित पक्ष को पक्षकार नहीं बनाया है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि हत्या के प्रयास व गैर इरादतन हत्या से जुडे मामलों में एक से ज्यादा पीडित हो सकते हैं और सभी का पक्ष सुनने से जमानत याचिकाओं के फैसले में देरी होगी। आरोपी पक्ष की दलील सुनकर सिंगल बेंच ने कहा कि वे अपनी सहयोगी बेंच के मत से सहमत नहीं है और इसलिए इस मुद्दे को तय करवाने के लिए सीजे के पास भिजवाया जाना उचित होगा।