बैचमेट पूछते हैं- ये ‘सांचौर की पाठशाला’ क्या है?
RAS-RPS, टीचर, लेक्चरर का चयन करने वाली प्रदेश की सबसे बड़ी संस्था RPSC ने आज राजस्थान की पहचान ‘नाथी का बाड़ा’ और ‘सांचौर की पाठशाला’ के नकारात्मक रूप में बना दी है।
ऐसा सुनकर ही बड़ी शर्म महसूस होती है कि हम अपने युवाओं को क्या दे रहे हैं। यह कहना है हाल ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक पद से रिटायर्ड हुए आईपीएस अफसर बी. एल. सोनी का।
अपने कार्यकाल में कई IAS-IPS पर शिकंजा कसने वाले अफसर सोनी ने युवा जागृति मंच नाम से एक सामाजिक संगठन बनाया है। चर्चा है कि वे जल्द राजनीति में उतर सकते हैं।
बीएल सोनी : मैं जब डीजी-एसीबी के पद पर था, तब करीब 1200 केस मेरे सामने आए। जिनमें आईपीएस, आईएएस, आरएएस, आरपीएस सहित डॉक्टर-इंजीनियर, ठेकेदार, राजनीतिक पदाधिकारी से जुड़े थे। ताज्जुब की बात यह है कि इन सभी मामलों में 80-90 प्रतिशत शिकायतें हमें युवाओं से प्राप्त हुई थीं। उनका कहना था कि वे जेडीए-निगम, लाइसेंस, ठेका, बिजनेस, भर्ती किसी काम के लिए कहीं जाते हैं तो उनका सामना भ्रष्टाचारियों से होता है।
हर काम कराने के लिए सरकारी दफ्तरों में पैसा मांगा जा रहा है। कोई न कोई मध्यस्थ हर जगह सक्रिय है। आज भी मैं बहुत से स्थानों पर युवाओं से मिलता हूं। स्कूल-कॉलेज में जाता हूं, तो बस एक ही शिकायत मिलती है कि पेपरलीक होना, परीक्षा रद्द होना, भर्तियों में दलाली एक आम बात बन गई है।
जयपुर के पहले पुलिस कमिश्नर रहे सोनी को दो बार मिल चुका राष्ट्रपति पुरस्कार
1 जनवरी 1963 को जोधपुर के गांव खारिया में जन्मे भगवान लाल सोनी ने जोबनेर कृषि महाविद्यालय से कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। फिर दिल्ली से मास्टर डिग्री हासिल की। बिना कोचिंग के यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईपीएस बने। राजस्थान में पहली बार जयपुर और जोधपुर शहरों में वर्ष 2011 में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की गई। तब जयपुर का पहला पुलिस कमिश्नर सोनी को ही बनाया गया।