29 अप्रैल तक गुरु रहेंगे अस्त, मांगलिक कार्य वर्जित लेकिन अबूझ मुहूर्त माने जाने से कई लोग करेंगे शादियां
जोधपुर। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया या आखा तीज के नाम से जानी जाती है। इस बार आखातीज 22 अप्रैल को छह शुभ योग में आ रही है। इसमें त्रिपुष्कर, सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, रवि, आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। वहीं यह दिन विवाह का अबूझ मुहूर्त होता है लेकिन इस वर्ष गुरु अस्त होने के कारण अप्रेल माह में एक भी विवाह का मुहूर्त नहीं है, जबकि अक्षय तृतीया पर पूरे साल में सबसे अधिक शादियां होती हैं, जिनकी शादियों के मुहूर्त नहीं निकलते हैं वे लोग अक्षय तृतीया पर विवाह करते हैं, लेकिन इस बार गुरु अस्त के चलते इस महा मुहूर्त पर भी शादियों के योग नहीं हैं। हालांकि अबूझ मुहूर्त होने के कारण कई लोग इस दिन शादियां करेंगे।
पंडितों के अनुसार इस समय खरमास चल रहा है, इसके साथ ही गुरु भी अस्त हो गए हैं। गुरु 29 अप्रैल तक अस्त रहेंगे। इसके कारण अप्रैल माह में खरमास समाप्त होने के बाद भी शादियों पर विराम लगा रहेगा। दरअसल शादी-विवाह के लिए गुरु व शुक्र का उदित होना जरूरी है। दोनों में से एक भी अस्त होने पर विवाह नहीं होते हैं। अक्षय तृतीया पर गुरु अस्त रहेंगे लेकिन यह स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है, इसलिए कई लोग इस मुहूर्त में शादियां करेंगे। इसके बाद शादियों का सिलसिला मई से प्रारंभ होगा। मई में कुल 16 दिन और जून में 16 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे। इसी प्रकार जुलाई में देवशयनी एकादशी से फिर विवाह कार्यों पर लंबा विराम लग जाएगा। अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ जप-तप, दान-पुण्य और खरीदारी का बहुत महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन सोने-चांदी के जेवर की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। वहीं इसके अलावा राशि अनुसार भी अन्य धातुओं की चीजें खरीदना शुभ माना गया है।