जयपुर, 17 मई। राजस्थान हाईकोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया और बार कौंसिल ऑफ राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत नए वकीलों के पंजीकरण के लिए तय राशि से कई गुणा अधिक राशि क्यों वसूली जा रही है। इसके साथ ही अदालत ने याचिका की कॉपी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी को देने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश तिलक जांगिड़ व नेहा शर्मा की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने बताया कि अधिवक्ता के तौर पर अदालत में प्रैक्टिस करने के लिए बार कौंसिल में पंजीकृत होने की जरुरत होती है। पंजीकरण के बाद ही वकील के तौर पर अदालत में पैरवी की जा सकती है। वहीं अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24 के तहत बतौर वकील कौंसिल में पंजीकरण के लिए सात सौ पचास रुपए की फीस निर्धारित की गई है। इसके बावजूद बार कौंसिल ऑफ राजस्थान विभिन्न मदों में करीब बीस हजार रुपए की वसूली कर रहा है। याचिका में कहा गया कि बार कौंसिल पंजीकरण करने की अपनी शक्ति का मनमाने रूप से दुरुपयोग कर रहा है। जब कोई आवेदक इतनी फीस का विरोध करता है तो कौंसिल उसका पंजीकरण ही नहीं करती है। याचिका में कहा गया कि बॉम्बे हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने ऐसे मामले में धारा 24 के तहत निर्धारित शुल्क लेने और वसूली गई अधिक राशि को लौटाने के निर्देश दे रखे हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता से वसूली गई अधिक राशि लौटाने और एक अन्य याचिकाकर्ता से आवेदन के दौरान निर्धारित फीस ही वसूलने के निर्देश दिए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने बार कौंसिल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।