CURREPTION का पुलिंदा लेकर पहुंच रहे राजदार -एसीबी जांच करे तो 5 हजार करोड़ का गड़बड़झाला

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-व्याप्त कमीशनखोरी के महकमें के दो जने देंगे सबूत
-करोड़ों की नकदी और एक किलो सोने से जुड़ा है प्रकरण

जयपुर, 25 मई (ब्यूरो): सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीओआईटी) के भ्रष्ट ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश ने मुंह तो खोला मगर भ्रष्टïाचारियों के कारनामों पर मुहर नहीं लगाई है। महकमें में व्याप्त कमीशनखोरी से तंग कभी विभाग में जुड़े दो जनों अब एसीबी में लिखित सूचना दी है। दोनों ने डीओआर्ईटी में फैले भ्रष्टïाचार का चि_ïा ब्यूरो को सौंपने की बात कही है। माना जा रहा है कि आगे होकर जांच में मदद करने पहुंच रहे लोगों के दस्तावेजों से जांच हो तो करीब पांच हजार करोड़ रुपए का गड़बड़झाला उजागर हो सकता है, जिसके चलते कई अधिकारी-कर्मचारी तक इसकी आंच पहुंच सकती है।
गौरतलब है कि 19 मई की रात जयपुर में सचिवालय के पास योजना भवन के बेसमेंट की रखी अलमारी से 2 करोड़ 31 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी और एक किलो सोना बरामद हुआ था। अलमारी में रखे ट्रॉली बैग में 2000 और 500 के नोट थे। अलमारी से 2000 के 7 हजार 298 और 500 रुपए के 17 हजार 107 नोट मिले थे। सोने की सिल्ली पर मेड इन स्विट्जरलैंड लिखा था। सोने की कीमत करीब 62 लाख बताई जा रही है। पुलिस ने नकदी और सोना छिपाने वाले डीओआईटी के ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव को पकडक़र एसीबी को सौंपा था। उसने पहले तीन दिन और बाद में दो दिन के रिमांड पर लिया। एसीबी का कहना था कि आरोपी ने घूसखोरी में लिप्त कई अधिकारी-कर्मचारियों सहित ले-देकर टेंडर हथियाने वाली कंपनियों के नाम तो बताए मगर लिखित में देने से मुकर गया। ऐसे में माना जा रहा है वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।

कई बार की थी शिकायत
सूत्र बताते हैं कि महकमें में प्रोग्रामर रहे एक व्यक्ति ने कमीशनखोर और भ्रष्टïाचार की शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से की थी। शिकायत को अनदेखा कर उल्टे प्रताडि़त किया जाने लगा तो उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। बाद में उसने न्यायालय में भी भ्रष्टïाचार जांच के लिए याचिका दायर की और अब कमीशनखोरी का खेल सामने आने पर फिर एसीबी पहुंचकर अहम साक्ष्य देने की बात कही है। गुरुवार को भी विभाग से जुड़ा एक अधिकारी एसीबी कार्यालय पहुंचा और डीओआईटी की कारगुजारी की परतें खोली हैं। जानकारी के अनुसार इस अधिकारियों ने भ्रष्टïाचार की शिकायतें की तो उसे भी जिम्मेदारों द्वारा प्रताडि़त किया जाने लगा। हालात ऐसे हुए कि उनके कई प्रमोशन से लेकर इंक्रीमेंट तक रोक लिए गए और इधर-उधर तबादले भी करवाए गए। अब ब्यूरो इनके द्वारा दिए गए साक्ष्यों की जांच करे तो मामले में बड़ा भूचाल आ सकता है।

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