कलेक्टर होने के साथ साथ मैरिज रजिस्टार भी हूं ,शादी-विवाह संबंधी मामलो की सुनवाई कर पीड़ित को राहत दी जा सकती है

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राहत शिविर में कुंआरे द्वारा दुल्हन मांगने के मामले में कलेक्टर ने कहा

दौसा , 5 जून: जिला कलेक्टर कमर चौधरी ने कहा है की वे कलेक्टर के साथ-साथ मैरिज रजिस्टार भी हैं, शादी- विवाह भी करवाते हैं ऐसे में गांगदवाड़ी में शिविर के दौरान यदि कोई पीड़ित आया है तो उसकी प्रार्थना पत्र लेकर नियमानुसार कार्रवाई की जा सकती है। क्योंकि पीड़ित व्यक्ति के प्रार्थना पत्र देते समय उसकी मनोदशा कैसी रही होगी। यदि वह मानसिक रूप से प्रताड़ित है और यदि उसकी प्रार्थना पत्र को नहीं लेते हैं और वह आत्महत्या कर लेता है या टंकी पर चढ़ जाता है, जीवन को खतरे में डालने का कोई और रास्ता चुन लेता ह उससे अच्छा है कि वह शिविर में आकर अपनी बात को प्रशासन के सामने रखें। प्रशासन का काम है कि नियम अनुसार उसकी समस्या का समाधान करना। इसी के चलते पीड़ित के प्रार्थना पत्र को लेकर कार्रवाई की जा रही है।

गौरतलब है कि पीड़ित कल्लू महावर निवासी गांगदवाड़ी ने तहसीलदार को प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई है कि उसके घरेलू परिस्थितियां प्रतिकूल हैं और वह अकेला घर पर परेशान रहता है साथ ही वह घर पर कार्य करने में असमर्थ है। ऐसे में घरेलू कार्य के लिए पत्नी की आवश्यकता है साथभी प्रार्थना पत्र में पत्नी की क्वालिटी बताते हुए लिखा है कि पत्नी “पतली होनी चाहिए, गोरी होनी चाहिए, 30 से 40 वर्ष की उम्र होनी चाहिए साथ ही सभी कार्यों में अग्रणी होनी चाहिए”।

3 जून को गांगदवाड़ी महंगाई राहत कैंप के दौरान आंगनवाड़ी में यह आवेदन आया तो तहसीलदार ने भी एप्लिकेशन को पटवारी के लिए मार्क कर दिया और लिखा कि जांच कर आवश्यक कार्रवाई करें जैसे ही यह प्रार्थना पत्र फॉरवर्ड होकर पटवारी के पास पहुंचा तो पटवारी ने भी इस मामले में पंचायत स्तर पर एक टीम का गठन करने की सलाह दे दी। पटवारी ने इस मामले में तहसीलदार को एप्लीकेशन लिखते हुए लिखा कि उक्त प्रकरण में ग्राम पंचायत स्तर पर टीम का गठन किया जाए, उक्त टीम में ग्राम पंचायत सचिव, पटवारी, ग्राम पंचायत सरपंच गांगदवाड़ी की संयुक्त टीम का गठन किया जाए ताकि समय पर पत्नी उपलब्ध करवाई जा सके, रिपोर्ट श्रीमान को सादर प्रेषित है। दौसा जिले में आए इस अजीबोगरीब मामले के बाद हर कोई हैरान था और पटवारी की रिपोर्ट की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल होकर चर्चा का विषय और हंसी का मुद्दा भी बना हुआ है।

इनका कहना है-

इस पूरे मामले में प्रार्थी कल्लू महावर का कहना है कि उससे गांव के ही कुछ लोगों ने एप्लीकेशन लिखवाई थी और उन्होंने ही तहसीलदार को एप्लीकेशन दी थी।

वही पटवारी बाबूलाल गुर्जर का कहना है कि प्रार्थी सीधा कर उसे नहीं मिला बल्कि तहसीलदार के माध्यम से एप्लीकेशन आई थी जिसके आधार पर ग्रामीणों ने आज ही कार्रवाई करने का दबाव दिया था और इसके कारण उस एप्लीकेशन पर पंचायत स्तर पर टीम का गठन किया गया था।

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