जयपुर, 1 जून। राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने रेंजर की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के आधार पर पदोन्नति से वंचित करने के मामले में कहा है कि कर्मचारी के खिलाफ दंडादेश का प्रभाव आरोप पत्र जारी होने की तिथि से माना जाता है। वहीं पदोन्नति के लिए रिक्ति वर्ष से पूर्ववर्ती सात साल का सेवा रिकॉर्ड देखा जाता है। इसके साथ ही अधिकरण ने आदेश दिए हैं कि वर्ष 2017-18 की एसीएफ पद की पदोन्नति के लिए रिव्यू डीपीसी कर अपीलार्थी को पदोन्नत करने पर विचार किया जाए। अधिकरण ने तीन माह में रिव्यू डीपीसी कर अपीलार्थी को समस्त परिलाभ देने को कहा है। अधिकरण ने यह आदेश अनिल कुमार गुप्ता की अपील पर सुनवाई करते हुए दिए।
अपील में कहा गया कि अपीलार्थी को वर्ष 1997 में रेंजर ग्रेड-1 के पद पर नियुक्त किया गया था। वहीं सितंबर 2002 में उसे आरोप पत्र देकर उसके आधार पर जून, 2015 में दो वर्ष की वेतन वृद्धि रोकने की सजा दी गई। इसके विरुद्ध राज्यपाल के समक्ष अपील करने पर नवंबर 2017 में दंड कम कर एक साल की वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने के आदेश दिए गए। अपील में कहा गया कि वर्ष 2017-18 की पदोन्नति के लिए एसीएफ पद 46 पद रिक्त थे। वहीं अपीलार्थी के खिलाफ दंडादेश के कारण विभागीय पदोन्नति समिति ने सिफारिश नहीं की। जबकि कार्मिक विभाग के पांच अक्टूबर 2018 के परिपत्र के तहत दंडादेश का प्रभाव आरोप पत्र जारी होने के दिन से प्रभावी माना जाता है और पदोन्नति के संबंध में कर्मचारी के दंडादेश का प्रभाव सात साल तक ही रहता है। अपील के कहा गया कि पदोन्नति के लिए रिक्ति वर्ष से पूर्ववर्ती सात साल तक का रिकॉर्ड ही देखा जाता है। अपीलार्थी को वर्ष 2002 में आरोप पत्र दिया गया था। इसलिए वर्ष 2017-18 की एसीएफ की रिक्तियों पर अपीलार्थी को पदोन्नत करने में यह दंडादेश बाधक नहीं बनेगा। इसलिए उसे पदोन्नत किया जाए। वहीं विभाग की ओर से कहा गया कि दंडादेश का प्रभाव दंडादेश जारी करने के दिन से लागू होता है और अपीलार्थी के खिलाफ दंडादेश नवंबर, 2017 में जारी किया गया था। इसलिए अपीलार्थी को पदोन्नति के लिए उपयुक्त नहीं मानना सही है। दोनों पक्षों को सुनकर अधिकरण ने माना कि दंडादेश का प्रभाव आरोप पत्र जारी होने की तिथि से माना जाता है और पदोन्नति के लिए पूर्ववर्ती सात साल का सेवा रिकॉर्ड ही देखा जाता है। इसलिए रिव्यू डीपीसी कर अपीलार्थी को पदोन्नत करने के लिए विचार किया जाए और उसे समस्त परिलाभ दिए जाए।