अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में राम लला की प्रतिमा दिसंबर या जनवरी में स्थापित होगी। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराने का फैसला लिया है। इस अवसर पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव 7 दिन तक मनाया जाएगा।
यह जानकारी ट्रस्ट की बैठक के बाद महासचिव चंपत राय ने दी है। उन्होंने कहा- अभी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तारीख तय नहीं है, लेकिन इसके लिए विद्वानों से चर्चा की जा रही है। राम मंदिर के ग्राउंड फ्लोर और गर्भगृह का काम 15 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी होगी। ग्राउंड फ्लोर का 85% काम पूरा हो गया है।
प्रधानमंत्री को दिसंबर से 26 जनवरी 2024 के बीच कार्यक्रम की संभावित डेट के बारे में बताया जाएगा। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि आमंत्रण के लिए पत्र तैयार करेंगे। इस पर महंत नृत्यगोपाल दास हस्ताक्षर करेंगे। इसे प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा।
उत्सव के लिए संतों-धर्माचार्यों से आग्रह करेंगे
चंपत राय ने कहा- 7 दिनों के उत्सव के लिए देशभर के संतों-धर्माचार्यों से आग्रह किया जाएगा। उनसे निवेदन किया जाएगा कि वे अपनी-अपनी जगहों पर प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाएं।
मकराना के संगमरमर से सजेगा ग्राउंड फ्लोर
चंपत राय ने कहा- राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर मकराना के संगमरमर से सजेगा। फर्श पर संगमरमर बिछाए जाने का काम एक-दो दिन में शुरू होगा। राम मंदिर के गर्भगृह में नक्काशीदार पत्थर लगाए जाएंगे।
श्रीराम की 3 मूर्तियां बनाने का काम शुरू
अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए रामलला की 3 मूर्तियों का निर्माण शुरू हो गया है। सिर पर मुकुट, हाथ में धनुष-बाण लिए रामलला की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। इनके लिए कर्नाटक की 2 श्याम शिला और राजस्थान के श्वेत संगमरमर का इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि अभी ये निश्चित नहीं है कि इनमें से कौन-सी मूर्ति गर्भगृह के लिए चुनी जाएगी।
इन मूर्तियों को पूरी तरह से तैयार करने में करीब 4 महीने का वक्त लगेगा। रामसेवकपुरम् में कर्नाटक के मैसूर से आईं 2 शिलाओं, जबकि उसके सामने के परिसर में राजस्थान से आई संगमरमर की शिला को आकार दिया जा रहा है। कर्नाटक के शिल्पकार गणेश एल. भट्ट और राजस्थान के शिल्पकार सत्यनारायण पांडेय के नेतृत्व में यहां काम हो रहा है।
2 जून को मूर्तियों को लेकर होगी घोषणा
2 जून को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का जन्मोत्सव है। इस दिन संत सम्मेलन में राम मंदिर के ट्रस्ट और देश भर के संत शामिल होंगे। माना जा रहा है कि ट्रस्ट की बैठक में रामलला की मूर्ति पर सहमति बनने के बाद संत सम्मेलन में इसकी घोषणा सार्वजनिक की जाएगी। विहिप के प्रवक्ता शरद ने बताया कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के निर्देश पर मूर्तियों का निर्माण शुरू हो चुका है।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए रामलला की 3 मूर्तियों का निर्माण शुरू हो गया है। सिर पर मुकुट, हाथ में धनुष-बाण लिए रामलला की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। इनके लिए कर्नाटक की 2 श्याम शिला और राजस्थान के श्वेत संगमरमर का इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि अभी ये निश्चित नहीं है कि इनमें से कौन-सी मूर्ति गर्भगृह के लिए चुनी जाएगी।
इन मूर्तियों को पूरी तरह से तैयार करने में करीब 4 महीने का वक्त लगेगा। रामसेवकपुरम में कर्नाटक के मैसूर से आईं 2 शिलाओं, जबकि उसके सामने के परिसर में राजस्थान से आई संगमरमर की शिला को आकार दिया जा रहा है। कर्नाटक के शिल्पकार गणेश एल. भट्ट और राजस्थान के शिल्पकार सत्यनारायण पांडेय के नेतृत्व में यहां काम हो रहा है।
51 इंच की मूर्ति, स्थापित होकर 8 फीट ऊंची हो जाएगी
मूर्तिकार गणेश भट्ट ने बताया कि रविवार को पत्थरों की पूजा की गई। मूर्तिकार ने काम करना शुरू कर दिया है। ये मूर्तियां 51 इंच लंबी बनाई जानी हैं। मूर्तियों को स्थापित करने के बाद इनकी ऊंचाई 8 फीट हो सकती है। सुदर्शन साहू और अरुण योगिराज भी मूर्तियों पर काम कर रहे हैं। दोनों टीमों में 4-4 सहयोगी भी सेवा कर रहे हैं।
2 जून को मूर्तियों को लेकर होगी घोषणा
वहीं, अयोध्या में राम मंदिर भवन निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक चल रही है। इसके बाद बुधवार को श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी भी मंथन करेंगे। 2 जून को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का जन्मोत्सव है। इस दिन संत सम्मेलन में राम मंदिर के ट्रस्ट और देश भर के संत शामिल होंगे।
माना जा रहा है कि ट्रस्ट की बैठक में रामलला की मूर्ति पर सहमति बनने के बाद संत सम्मेलन में इसकी घोषणा सार्वजनिक की जाएगी। विहिप के प्रवक्ता शरद कहते हैं कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के निर्देश पर मूर्तियों का निर्माण शुरू हो चुका है।
राम मंदिर की मूर्तियों में दिखेगी गीता प्रेस की झलक
अयोध्या में राम मंदिर के श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र परिसर में श्रीराम से जुड़े अन्य पात्रों की मूर्तियों में गोरखपुर गीता प्रेस में लगे चित्रों की छवि देखने को मिलेगी। ये मूर्तियां कैसी हों, इसकी प्रेरणा लेने और मूर्तिकारों को प्रामाणिक चित्र उपलब्ध कराने के लिए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी गीता प्रेस गए थे।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र परिसर में भगवान राम के जीवन से जुड़े हुए और त्रेता युग के ऋषि-मुनियों, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त महर्षि वशिष्ठ, माता शबरी, माता अहिल्या और निषाद राज की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। इन मूर्तियों को रूप देने के लिए मूर्तिकारों को प्रामाणिक चित्र की आवश्यकता है।
श्रीरामजन्मभूमि परिसर में बन रहे भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही राम मंदिर को जोड़ने वाले तीन सड़कों पर भी काम तेजी से चल रहा है। जन्मभूमि पथ का काम अंतिम चरण में है, तो भक्ति पथ अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले राम पथ का निर्माण भी तय समय से पहले दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी डेडलाइन अप्रैल, 2024 थी, जिसे अब घटकर दिसंबर कर दिया गया है।
भवन निर्माण समिति ने किया निरीक्षण
भवन निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक हो गई है। बैठक के बाद समिति ने मूर्ति निर्माण कार्यशाला और राम जन्मभूमि पथ का निरीक्षण किया। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान रामलला के विराजमान होने के बाद द्वितीय तल का निर्माण होता रहे और श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो, इसको लेकर ट्रायल किया गया। इसके अलावा निषादराज, शबरी, अहिल्या, बाल्मीकि, वशिष्ठ के मूर्ति निर्माण को लेकर मंथन किया गया है।
मैसूर से आए पत्थरों से मनाई जा रही प्रतिमा
चंपत राय ने बताया कि भूतल तैयार होने के बाद मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। दिसंबर तक मंदिर को फाइनल टच दिया जाएगा। राम लला की प्रतिमा 51 इंच होगी। कर्नाटक के मैसूर से आए दो पत्थरों से प्रतिमा बनाई जा रही है। रामलला की एक अन्य मूर्ति राजस्थान के मकराना मार्बल से बनाई जा रही है। मूर्तिकार अरुण योगीराज अपनी पसंद का पत्थर कर्नाटक से लेकर आए हैं। राम मंदिर में दो पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए तांबे की पत्ती का इस्तेमाल किया जा रहा है। मंदिर में फसाद लाइट भी लगाई जाएंगी।
अयोध्या में राम मंदिर अब आकार लेने लगा है। ग्राउंड फ्लोर 80% बनकर तैयार है। मंदिर में प्रभु श्रीराम की मूर्ति बाल स्वरूप में लगाई जानी है। हालांकि, किस पत्थर से यह मूर्ति बनेगी? यह अभी तय नहीं है। 31 मई यानी दो दिन बाद होने वाली बैठक में मंदिर निर्माण से जुड़ी कमेटी मूर्ति के लिए पत्थर तय कर लेगी। इसके बाद मूर्ति निर्माण शुरू होगा।
फिलहाल, मूर्ति के लिए 4 तरह के पत्थरों पर विचार किया जा रहा है। पहला- नेपाल से लाई गईं शालिग्राम शिलाएं। दूसरा- राजस्थान का मकराना पत्थर। तीसरा- कर्नाटक का आरकोट स्टोन और चौथा-ओडिशा का पत्थर।
71 एकड़ में तैयार हो रहे भव्य मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का इस्तेमाल हो रहा है। सिर्फ यही नहीं, राम मंदिर कई और मायनों में भी अद्भुत है।