विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस मनाया,व्यक्ति की पूर्णता के लिए मानसिक स्वास्थ्य का ठीक होना भी जरूरी

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विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये आमजन को किया जागरूक

जोधपुर। शहर में कई अस्पतालों व अन्य स्थानों पर विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस मनाया गया। इस दौरान कई कार्यक्रम भी आयोजित हुए जिसमें आमजन को जागरूक किया गया।
मथुरादास माथुर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग द्वारा विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस के उपलक्ष्य में मनोविकार केन्द्र के सेमिनार हॉल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ. दिलीप कच्छवाहा ने कहा कि स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोग या अशक्तता का न होना मात्र नहीं है अपितु किसी व्यक्ति की पूर्णता के लिए उसका मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की शारीरिक स्वास्थ्य। उन्होंने कहा कि मानसिक संतुलन से ही कोई व्यक्ति प्रभावी एवं सार्थक जीवन जी सकता है मानसिक रोग को अन्य शारीरिक रोगों की तरह ही देखा जाना चाहिए और मानसिक रोगों की वास्तविकता के संबंध में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। उन्होंने इस बीमारी के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार के भ्रम के बिना रोगी को उपचार के लिए तत्पर रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में व्यक्ति अधिक से अधिक मशीनों एवं तकनीकों पर निर्भर हो गया है, उन्हें चाहिए कि आपस में आत्मीय सम्बन्ध बनायें, बातचीत करें जिससे एक दूसरे को समझने में मदद मिलती है व छोटी छोटी समस्याओं का समाधान स्वत: ही हो जाता है।

मनोविकार केन्द्र के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. संजय गहलोत ने कहा कि वर्तमान मे विश्व में लगभग 2 करोड़ से ज्यादा व्यक्ति स्क्रिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्ति है, इस विभाग मे उपचाराधीन मरीजो मे से लगभग 20 से 25 प्रतिशत व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्ति होते है, यह एक ऐसी बीमारी है जो आदमी के सोचने, समझने और काम करने की शक्ति को बुरी तरह प्रभावित करती है। रोगी वास्तविक और काल्पनिक अनुभव में फर्क नहीं कर पाता है, रोगी तर्कसंगत तरीके से सोच नहीं पाता है, सामान्य भावनाएं प्रकट नहीं कर पाता है तथा समाज में उचित व्यवहार नहीं कर पाता है। उन्होंने बताया कि सौ व्यक्तियों में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में स्क्रिजोफ्रेनिया से पीडि़त हो सकता है। यह रोग किसी को भी हो सकता है भले ही उसकी जाति, संस्कृति, लिंग, उम्र या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। उन्होंने बताया कि स्क्रिजोफ्रेनिया मंत्र-तंत्र, काले जादू, बुरे ग्रहों के प्रभाव या देवी-देवताओं के प्रकोप से नहीं होता है।
सहायक आचार्य डॉ सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि सामाजिक पुनर्वास रोगी के लिए महत्वपूर्ण होता है। दूसरा पहलू समूह उपचार विधि है। पुनर्वास उपचार का एक महत्वपूर्ण अंग है पारिवारिक सलाह मशविरा जिसके अन्तर्गत परिवार के सदस्य रोगी अपनी समस्याओं पर अनुभवी मनोचिकित्सक से बातचीत करें तथा उनको यह जानकारी दी जाये कि रोगी के साथ वे कैसा व्यवहार करें तथा उसके उपचार में वे किस तरह अधिक से अधिक सहायता कर सकते है। उन्होने कहा कि आज मनोविकार केवल मानसिक विकृत व्यक्तियों का ही इलाज नहीं करता बल्कि वह सभी प्रकार की व्यवहारिक समस्याओं का समाधान भी करता है। कार्यक्रम के समापन के अवसर पर सहायक आचार्य डॉ. अशोक सीरवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

एम्स में मनाया विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बुधवार को स्किजोफ्रेनिया जागरूकता दिवस मनाया गया। एम्स मनोचिकित्सा विभाग के एचओडी डॉ. नरेश नेभिनानी ने बताया कि इस मौके पर स्किजोफ्रेनिया से जुड़े मरीज व उनके परिजनों के लिए समाधान सत्र का आयोजन किया गया। इसमें मरीज व उनके परिजनों को इस बीमारी को लेकर जागरूक किया गया। गौरतलब है कि स्किजोफ्रेनिया दिमाग की एक बीमारी है, जो स्पष्ट रूप से सोचने, अपनी भावनाओं को संभालने और दूसरों के साथ उचित व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करती है। हर साल विश्व स्किजोफ्रेनिया के दिवस पर जागरूकता से इसी से संबंधित कार्यक्रम किए जाते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संतान में स्किजोफ्रेनिया होने की 10 प्रतिशत तक की आशंका रहती है।

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