जोधपुर। कमला नेहरू नगर स्थित लक्की बाल निकेतन सीनियर सैकेण्डरी स्कूल में ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चें बड़े उत्साह से कत्थक सीख रहे हैं। कत्थक गुरु चैतन्य ने बच्चों को कत्थक के उद्भव व विकास के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि कत्थक शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के कथा शब्द से हुई। कत्थक का अर्थ है कहानी कहना। प्राचीनकाल में कथाकास-नृत्य के कुछ तत्वों के साथ महाकाव्यों और पौराणिक कथाओं से कहानियां सुनाया करते थे। कत्थक शैली में बच्चों को शिविर में नवरस के साथ भाव-भंगिमाएं सिखायी जा रही हैं। बच्चे भक्ति रस में गणेश वंदना तथा अर्थशास्त्रीय कत्थक शैली में नृत्य सीख रहे हैं जो श्रंृगार रस से ओत-प्रोत है। इन नृत्यों व वंदना की प्रस्तुति शिविर के समापन पर दी जाएगी। नृत्य मानव जीवन के सुख-दुख को प्रदर्शित करते हैं। कत्थक नृत्य एक तरह का योग व व्यायाम का कार्य करते है और मन प्रफुल्लित तथा उत्मुक्त होकर कार्य करना सीखता है। नृत्य किसी कार्य के प्रति उसके समर्पण भाव को प्रकट करता है।
2023-05-23