राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका:सुभाष महरिया फिर थामेंगे बीजेपी का दामन, बोले- परिवार में आकर हो रही खुशी

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राजस्थान में चुनावी सीजन शुरू होने के साथ ही राजनीतिक उठापटक का सिलसिला भी शुरू हो गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। महरिया शुक्रवार सुबह 10:15 बजे बीजेपी मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में एक बार फिर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के साथ बड़ी संख्या में महरिया के समर्थक भी मौजूद रहेंगे।

सुभाष बोले- फिर से परिवार में आकर हो रही खुशी
सुभाष महरिया ने कहा कि मैं बीजेपी का कार्यकर्ता रहा हूं। फिर से अपनी परिवार में आकर बहुत प्रसन्न महसूस कर रहा हूं। मैं पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर फिर से शामिल हो रहा हूं। ऐसे में पार्टी मुझे जो भी, जहां भी जिम्मेदारी देगी। मैं उसे अच्छे से निभाने की कोशिश करूंगा।

वहीं महरिया की घर वापसी के साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी उन्हें लक्ष्मणगढ़ विधानसभा से गोविंद सिंह डोटासरा के सामने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बना सकती है।

जानिए कौन है सुभाष महरिया

29 सितंबर 1957 को जन्में सुभाष महरिया बीए पास हैं। उन्होंने सीकर के एसके कॉलेज से बीए किया है। पेशे से वे किसान, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उद्योगपति हैं। वे साल 1998, 1999 व 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए। महरिया 1996 के चुनाव में कांग्रेस के हरि सिंह से हार गए थे। इसके अगले ही चुनाव में उन्होंने हरी सिंह को हराया। इसके बाद लगातार तीन बार यहां से सांसद चुने गए। साल 2009 के चुनाव में हार के बाद 2014 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। तो वे पार्टी से नाराज हो गए थे। इसके बाद 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे महरिया एक प्रमुख जाट नेता हैं। वह बीजेपी के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके है। महरिया 1998 और 1999 से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए इसके बाद 2004 तक केंद्रीय राज्यमंत्री ग्रामीण विकास मंत्रालय में रहे। 2004 में फिर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए इसके बद 2010 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनें थे। जबकि 2011 में उन्हें बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था।

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