बिजली-पानी संकट को लेकर आंदोलन करेगी भाजपा -उपखंडों पर तीन दिवसीय प्रदर्शन आज से

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जयपुर, 16 मई : बिजली दरों में महंगाई एवं पानी की किल्लत को लेकर भाजपा ने आज गहलोत सरकार पर जमकर कटाक्ष किए। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि पूर्ववती भाजपा सरकार में जो फ्यूल सरचार्ज 18 पैसे प्रति यूनिट हुआ करता था, वह कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 60 पैसे प्रति यूनिट औसतन कर दिया। 2018 में बिजली की प्रति यूनिट दरें 5 रुपए 55 पैसे हुआ करती थी वह अब बढ़ाकर 11 रुपए 90 पैसे कर दी गई है। राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम के 10 थर्मल व हाइडल प्लांट और 3 अन्य पावर प्लांट हैं जिनकी कैपेसिटी 8597.35 मेगावाट बिजली उत्पादन की है, लेकिन सरकार की नीतियों के चलते कोयले की कमी, तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर यह उत्पादन घटकर महज 3500 से 4000 मेगावाट पर आ गया। वहीं प्रदेश सरकार के गलत प्रबंधन के चलते प्रदेश में प्रति माह 5 से 7 थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाते हैं।

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ व विधायक-प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने मीडिया से बातीचत करते हुए कहा कि विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के मामले में भी प्रदेश में 17 हजार 143 मेगावाट के विद्युत संयत्र लगे होने के बावजूद इनसे पैदा होने वाली बिजली में प्रदेश की जनता को 3 हजार 326 मेगावाट बिजली ही मिल पाती है। गहलोत सरकार की नीतियों के चलते 17,18 व 19 मई को प्रदेश के उपखण्डों पर बिजली पानी को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन किए जाएंगे। प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार दो भागों में बंटी हुई है, कांग्रेस सरकार के मंत्री खुले मंच से अपनी सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बता रहे है। आचार सहिंता लगने के महज साढ़े चार माह पहले राहत शिविर के नाम पर सरकार अपना प्रोपेगेंडा चला रही है।

इन मुद्दों पर घेरा सरकार को
-कोयला कंटेनरों में 30 प्रतिशत कोयले की चोरी पकड़ी गई है। जिसमें औसतन एक कंटेनर में दस लाख का कोयला होता है। प्रतिदिन 500 से 600 ट्रकों से कोयला चोरी किया जाता है।
– एक तरफ सरकार 23.309 मेगावाट क्षमता बिजली उत्पादन के साथ सरप्लस बिजली होने की बात कहती है, दूसरी तरफ प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6-10 घंटे अघोषित बिजली कटौती करती है।
– पेयजल संकट की स्थिति प्रदेश में बदतर है 11,440 गांवों में पानी के टैंकर भिजवाए गए लेकिन उनका भुगतान नहीं होने के चलते
पेयजल व्यवस्था ठप्प हो गई है।
– प्रदेश के करीब डेढ़ करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को 17 रुपए प्रति यूनिट बिजली महंगी दी जा रही है। गहलोत सरकार में साल 2021 में 13 हजार 793 करोड़ तक की महंगी बिजली खरीदी गई। उसके बावजूद अन्य राज्यों के मुकाबले चालीस प्रतिशत मंहगी बिजली उद्योगों को दी जा रही है।

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