-अजमेर जिले से जनसंघर्ष पदयात्रा की जयपुर जिले में हुई इंट्री
-करप्शन व पेपर लीक को लेकर आगे भी आंदोलन की राह पर चलेंगे पायलट
जयपुर, 13 मई : करप्शन व पेपर लीक को लेकर शुरू की गई जनसंघर्ष पदयात्रा के बाद भी आगे भी सचिन पायलट आंदोलन की राह पर चलने के संकेत दे रहे हैं। तीसरे दिन पदयात्रा अजमेर से अब जयपुर जिले में इंट्री कर गई है। सूर्य की तपन के साथ ही जैसे-जैसे पायलट राजधानी की ओर बढ़ रहे हैं उसी प्रकार उनके तेवर भी तल्ख होते जा रहे हैं। तीसरे दिन उन्होंने एक बार फिर संकेत दिए कि करप्शन व पेपर लीक मामले को अंजाम तक पहुंचाने तक उनका आंदोलन आगे भी जारी रह सकता है। अपनी ही सरकार पर पायलट के लगातार प्रहार कर रहे हैं लेकिन साथ ही उनका कहना है कि उनका विरोध किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी नहीं है बल्कि वह जनहित के मुद्दों का निदान चाहते हैं।
पारा 40 पार है और इसके बावजूद पायलट की यात्रा में जनसैलाब उमड़ रहा है और इसी ताकत के दम पर वह लगातार सिस्टम पर सवाल उठाकर लोगों से जुड़ाव करने के अभियान पर अग्रसर हैं। पायलट की यात्रा का समापन 15 मई को जयपुर के महापुरा के करीब होने की उम्मीद है। यहां पर वह विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे और इसके साथ ही वह अपनी आगामी रणनीति का भी खुलासा करेंगे। हालांकि कांग्रेस से बाहर जाने के सवाल को वह लगातार टाल रहे हैं और कह रहे हैं कि अटकलें मत लगाइए, जो करुंगा वह कहकर करुंगा।
अनुशासनहीनता की डोर पड़ रही ढीली
सचिन की यात्रा को लेकर जयपुर से लेकर दिल्ली तक के कांग्रेस के कुछ नेता अनुशासनहीनता देने पर उतारू हैं। इसके पहले उनके अनशन को भी इसी श्रेणी में रखने की बात खुद प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहते हुए कार्रवाई का दंभ भरा था। बावजूद शीर्ष नेतृत्व के सामने पायलट ने जो पक्ष रखा उससे अब अनुशासनहीनता की डोर अब ढीली पड़ती नजर आ रही है। हालांकि संगठन पायलट को लेकर एक बात की दलील दे रहा है कि उनके कारण प्रदेश में पार्टी को सियासी नुकसान हो सकता है।
पायलट को चाहिए इनका जवाब व कार्रवाई
-वसुंधरा राजे के समय हुए 45 हजार करोड़ घोटाले की जांच हो।
-पेपर लीक मामले में आरपीएससी मैंबर बाबूलाल कटारा के घर बुलडोजर क्यों नहीं चला।
-पेपर लीक का मास्टर माइंट कौन हैं, सूत्रधार पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं
-आरपीएससी अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव हो।
-25 सितंबर को सोनिया गांधी के निर्देश के बावजूद विधायक दल की बैठक क्यों नहीं हो पाई।
-विधायकों ने इस्तीफे दिए, बाद में स्पीकर ने कोर्ट में कहा कि इस्तीफे इसलिए रिजेक्ट करना पड़े कि वह मर्जी से नहीं दिए, इस पर पायलट की मांग है कि जांच हो कि किसके कहने पर इस्तीफे दिए और किसका दबाव था।
-कांग्रेस इतिहास में पहली मर्तबा ऐसा हुआ कि पर्यवेक्षकों व सोनिया गांधी की बेइज्जदती हुई, नोटिस जारी हुए लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई।