पेपरलीक और करप्शन के खिलाफ सचिन पायलट ने दूसरे दिन भी करीब 25 किमी की यात्रा निकाली। पायलट के साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी थे। यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार फिर CM अशोक गहलोत पर निशाना साधा है।
वहीं, दिल्ली में पायलट की यात्रा को लेकर कांग्रेस में गहमागहमी बढ़ गई है। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित अन्य नेताओं के साथ इस मामले पर मीटिंग की है। रंधावा इस मामले में खड़गे को एक रिपोर्ट सौंपेंगे।
पांच दिन की जनसंघर्ष यात्रा के दूसरे दिन पायलट ने अनुशासनहीनता के आरोपों पर कहा कि वसुंधरा राजे के राज के वक्त हुए करप्शन की जांच की बात उठाना अनुशासनहीनता कैसे हो गया? पायलट ने गहलोत खेमे की तरफ से लगाए जा रहे आरोप पर भी तीखा पलटवार किया है।
शुक्रवार सुबह 8 बजे यात्रा की शुरुआत अजमेर जिले के किशनगढ़ टोल से हुई थी। करीब 11 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद बिड़ला पब्लिक स्कूल, बांदर सिंदरी के पास विश्राम हो गया। शाम 4 बजे बिड़ला स्कूल से दोबारा यात्रा शुरू हुई है। शाम करीब साढ़े 7 बजे गेजी मोड़, पड़ासौली में आज की यात्रा खत्म हो गई। पायलट यहीं नाइट स्टे करेंगे। उनकी यात्रा अजमेर से जयपुर जिले में एंटर कर चुकी है।
25 सितंबर को विधायकों के इस्तीफे किसके दबाव में दिलवाए गए?
सचिन पायलट ने कहा- मैंने जब अनशन किया तो वसुंधरा राजे के करप्शन के खिलाफ किया। मुझे समझ में नहीं आता कि यह पार्टी के अनुशासन को लांघने का केस कैसे बनता है? अनुशासन तोड़ने का काम तो 25 सितंबर को किया गया था, जब सोनिया गांधी के स्पष्ट आदेश थे दोनों पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक करवाने आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री निवास पर बैठक रखने के बावजूद वह क्यों नहीं हो पाई? बाद में विधायकों ने इस्तीफे दिए। स्पीकर ने कोर्ट में कहा कि इस्तीफे रिजेक्ट इसलिए करने पड़े, क्योंकि विधायकों ने खुद की मर्जी से नहीं दिए थे। फिर किसकी मर्जी से दिए गए थे? क्या दबाव था? जहां तक बात अनुशासन की है तो मापदंड सबके लिए बराबर होना चाहिए। जब हमारे साथी विधायकों ने इस्तीफे दिए, तब क्या सरकार संकट में नहीं आ गई थी।