प्रभावित हो रही है पानी की गुणवत्ता, सफाई को लाई गई डिविडंग मशीन सागवाड़ा में, यहां बढ़ रही गंदगी
उदयपुर, 6 मई(ब्यूरो)। विश्व प्रसिद्ध पिछोला झील इन दिनों संकट में है। बढ़ती खरपतवार के चलते ऐसे हालात हो रहे हैं। शहर के कई पर्यावरणप्रेमी झीलों की सफाई में जुटे हैं, लेकिन उनके प्रयास नाकाफी हैं। ऐसे ही हालात रहे तो जलीय जीवन के साथ झील क्षेत्र भी प्रभावित होगा।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल बताते हैं कि पिछोला झील में आठ से ज्यादा ऐसी जलीय वनस्पतियां सक्रिय हैं, जिन्हें खरपतवार कहा जाएगा। इनके प्रभाव से ना केवल पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, वहीं पानी पर तैरती जलीय खरपतवार के चलते झील में सूर्य की रोशनी पानी पर नहीं पड़ती। तापमान बढने के साथ ही तालाब में जलीय खरपतवार तेजी से उपर आ रही है, जिससे पानी मे घुलनशील आॅक्सीजन की कमी होती है और जलीय जीवन पर संकट गहरा सकता है। झील प्रेमियों के अलावा शहर के पर्यावरणविद् झीलों की सफाई के लिए प्रयास करते हैं लेकिन वह नाकाफी है। यूं तो शहरी निकाय भी मजदूरों के जरिए झील की सफाई कराते हैं लेकिन उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। उनके झील से निकाली खरपतवार किनाने पर छोड़ दिए जाने से वह कुछ ही दिनों में फिर से झील में पहुंच जाती है।
डिविडंग मशीन भेजी दी सागवाड़ा
उदयपुर की झीलों की सफाई से नगर निगम ने डिविडंग मशीन लाखों रुपए में खरीदी थी। इसका उपयोग झीलों से खरपतवार बाहर निकालना था। उदयपुर की झीलों की सफाई के लिए लाई गई डिविडंग मशीन सागवाड़ा तालाब की सफाई के लिए भेजी जाने से उदयपुर की झीलों में हालात खराब होते जा रहे हैं। जबकि वर्तमान में डिविडंग मशीन की आवश्यकता सबसे ज्यादा उदयपुर की झीलों के लिए है। इस संबंध में झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य और पर्यावरणविदों ने जिला कलक्टर से पत्र भेजकर डिविडंग मशीन उदयपुर मंगवाए जाने का आग्रह किया है।
झील का एरिया भी प्रभावित होने का खतरा
झील प्रेमियों का कहना है कि यदि इसी प्रकार झील के पानी में खरपतवार बढ़ती जा रही है, उससे झील का एरिया भी प्रभावित होने का खतरा है। बताया गया कि खरपतवार झील में पानी कम होने पर मिट्टी में तब्दील होने लगती है। यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो झील धीरे—धीरे सिकुड़ने लगती है।