बिहार मूल के केरल में रह रहे दिव्यांग हसन व्हील चेयर से पहुंचे उदयपुर

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‘एक्सेसिबल वर्ल्ड कैंपेन’ पर निकले हसन, चाहते हैं कि दिव्यांगों के लिए हर उस जगह रैम्प बने, जहां सीढ़ी हों
3000 किलोमीटर चल चुके, बैटरी से चलने वाली व्हील चेयर से हर दिन 70 से 100 किलोमीटर का करते हैं सफर

उदयपुर, 5 मई(ब्यूरो)। कन्याकुमारी से भारत पर निकले बिहार के गया मूल के केरल में रह रहे दिव्यांग 25 वर्षीय हसन इमाम 3 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर उदयपुर पहुंच चुके हैं। हसन इमाम ने अपनी यात्रा को ‘एक्सेसिबल वर्ल्ड कैंपेन’ का नाम दिया है और सुगम्य भारत अभियान के तहत उनकी यात्रा हर पर्यटन स्थल, होटल, रेस्टोरेंट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट जहां आम इंसानों के लिए सीढ़ियां बनी हैं, वहां दिव्यांगों के लिए रैम्प बनाए जाने को लेकर है।
हसन की यात्रा के लिए आईआईटी मद्रास ने खास बैटरी आॅपरेटेड व्हील चेयर तैयार की थी, जिससे वह प्रतिदिन 70 से 100 किलोमीटर तक सफर आसानी से कर पाते हैं। वह अपनी यात्रा का अंत सियाचीन ग्लेशियर पर पहुंचकर करेंगे। जिसके लिए उन्हें 5000 किलोमीटर का सफर तय करना होगा, जिसमें से वह लगभग 3000 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं।
उदयपुर पहुंचे हसन ने बताया कि उन्होंने अपनी यात्रा की शुरूआत 25 दिसम्बर 2022 को कन्याकुमारी से की थी। उदयपुर में आने में चार महीने का वक्त लगा। इसी रफ्तार से चले तो और तीन महीने का समय लगेगा। उदयपुर से वह शुक्रवार शाम राजसमंद के लिए रवाना हो गए और वहीं रात्रि विश्राम करेंगे। जहां से वह गंगापुर, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर होते हुए दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

जेएनयू से रूसी भाषा में स्नातक हैं हसन इमाम
व्हीलचेयर पर भारत यात्रा पर निकले हसन इमाम जन जागरूकता के माध्यम से देश और समाज में विकलांग नागरिकों के पति एक बदलाव लाने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि “देश के लोगों को पता होना चाहिए कि हमारी तरह के लोगों की आबादी इस वक्त भारत में 10 लाख है।’’हसन इमाम मूल रूप से बिहार के निवासी है और केरल में रहते हैं। देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से रूसी भाषा में स्नातक हैं।
दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था ही नहीं
हसन इमाम का कहना है कि हम 21 वीं सदी में पहुंच गए लेकिन दिव्यांगों के लिए अभी तक सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था ही नहीं विकसित हो सकी। अब जहां भी सीढ़ियां हों, वहां व्हीलचेयर रैंप भी बनाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होता तो यह दिव्यांगों के साथ नाइंसाफी होगी। उन्होंने कहा, देश में कई मॉल, थिएटर, सार्वजनिक स्थान, सरकारी कार्यालय आदि अभी भी दिव्यांगों के अनुकूल नहीं हैं। उन्हें केवल चेन्नई का मरीना बीच ही एकमात्र ऐसा सार्वजनिक स्थान देखने को मिला, जहां रैंप था, इसके अलावा भारत के किसी भी समुद्र तट पर रैंप नहीं। उदयपुर पहुंचे हसनने खुशी जताई कि यहां फतहसागर की पाल पर घूमने के लिए उन्हें रैम्प मिले, ताकि दिव्यांग भी आसानी से व्हील चेयर से घूम पाएं।

यात्रा में एक बार मुश्किल में फंसे, लोगों ने बचाया
हसन ने बताया कि यूं तो उनकी यात्रा आसानी से चल रही है कि लेकिन गोवा से महाराष्ट्र जाते समय बार्डर पर पहाड़ी की चढ़ाई के समय उनकी व्हील चेयर की बैटरी डाउन हो गई और इलेक्ट्रीक व्हील चेयर पीछे जाने लगी। तब लोगों ने उन्हें बचाया और व्हील चेयर को धक्का देकर घाट पार कराया। यदि वहां लोग नहीं होते पता नहीं क्या होत़ा? ऐसा ही एक हादसा तब हुआ जब कुत्तों ने उनकी व्हील चेयर का पीछा करना शुरू कर दिया और वह असंतुलित होकर गिर गए। हालांकि कोई बड़ी चोट नहीं लगी।

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