एलएएसी के उपचार में राज्य का पहला सरकारी संस्थान बना मथुरादास माथुर चिकित्सालय
जोधपुर। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मथुरादास माथुर हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग ने हार्ट में बनने वाले क्लोट से होने वाले लकवे को रोकने के लिए बटननुमा डिवाइस लगाकर चार ऑपरेशन किए हैं। राजस्थान में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है, जब सरकारी अस्पताल में पहली बार एक साथ चार ऑपरेशन किए गए हैं। मरीजों को आर्टियल फ्रिब्रिलाइजेशन की समस्या थी। एलएएसी के केसेज राज्य में किसी भी सरकारी संस्थान में पहली बार किए गए है।
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पिं्रसिपल डॉ. दिलीप कच्छवाहा व मथुरादास माथुर चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि अनियमित ह्रदय की धड़कन में ह्रदय के एक भाग में रक्त के थक्के बनाना शुरू हो जाते हैं। काई बार ह्रदय के इस भाग से थक्के निकलकर मस्तिष्क में चले जाते हैं जिससे लकवा हो सकता हैं। इसकी रोकथाम के लिए मरीज को खून पतला करने की भारी औषधियां जिंदगीभर खानी पढ़ती हैं, जो की काई उम्रदराज तथा अन्य बीमारियों के चलते मरीज में रक्तस्राव कर सकती हैं। यानी की एक तरफ खून पतला करने की दवाई से रक्तस्राव का खतरा। इस तरह के मरीजो में बिना चीर फाड़ के हृदय के इस इस भाग को बटन जैसी डिवाइस से बंद कर दिया जाता हैं, जिससे खून का थक्का बनाने की सम्भावना नहीं रहती और खून पतला करने की दवाई तथा उससे होने वाले संभावित रक्तस्राव को टाला जा सकता हैं।
रविवार तथा सोमवार को मथुरादास माथुर चिकित्सालय के ह्रदय रोग विभाग में इसी तरह के चार मरीजों का सफल उपचार किया गया। चारों मरीज स्वस्थ्य हैं। उक्त केसेज में ह्रदय रोग विभाग के डॉ. रोहित माथुर, डॉ. पवन सारडा, डॉ. अनिल बारुपाल, सीटीवीएस विभाग से डॉ. सुभाष बलारा, डॉ. अभिनव सिंह, निश्चेतना विभाग से डॉ. राकेश कर्नावट, डॉ. शिखा सोनी व डॉ. गायत्री तंवर, नर्सिंग अधिकारी महेंद्र व्यास, करुणा, हरीश पंवार, नंदकिशोर, नवीन तथा हेमलता चौधरी तथा अन्य नर्सिंग अधिकारी व रेजिडेंट चिकित्सकों का सहयोग रहा। इस केस को करने के लिए बेंगलुरु से डॉ रंजन शेट्टी का विशेष सहयोग रहा।