अधिवक्ताओं ने किया न्यायिक कार्यों का बहिष्कार

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एकीकृत उच्च न्यायालय की मांग को लेकर धरना भी दिया
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के तत्वावधान में शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के एकीकरण की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने स्वैच्छिक रूप से हड़ताल रखी एवं न्यायिक कार्यो में उपस्थिति नहीं दी। एकीकृत उच्च न्यायालय की मांग को लेकर अधिवक्ताओं द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय परिसर एवं हेरिटेज उच्च न्यायालय परिसर दोनों स्थानों पर धरना भी आयोजित किया गया।
एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने बताया कि एकीकृत उच्च न्यायालय की मंाग को लेकर अधिवक्ता पिछले 47 वर्षो से हर माह उच्च न्यायालय के अंतिम कार्य दिवस को न्यायिक कार्यों में स्र्वैिच्छक रूप से उपस्थिति नहीं दे रहे है। वर्ष 1977 में आपातकाल के समय में उच्च न्यायालय को खंडित कर उच्च न्यायालय की बैंच जयपुर में स्थापित की गई जिससे न्यायिक राजधानी जोधपुर एवं समस्त पश्चिमी राजस्थान के साथ कुठाराघात हुआ हैं जिसका अधिवक्ता समुदाय आज तक अंतिम कार्यदिवस पर न्यायिक कार्यों का स्वैच्छिक बहिष्कार करते आ रहे हैं व उक्त आंदोलन भविष्य में भी जारी रखा जाएगा।
महासचिव गिरधरसिंह भाटी ने बताया कि आज सुबह से ही अधिवक्ता धरने पर बैठना शुरू हो गए। अधिवक्ताओं ने किसी भी प्रकार से न्यायिक कार्यों में भाग नहीं लिया एवं एकीकृत उच्च न्यायालय की मांग को दोहराया। हड़ताल के दौरान धरने पर बैठने वालों में एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी़, उपाध्यक्ष गोकुलेश बोहरा, महासचिव गिरधरसिंह भाटी, सहसचिव दीपक थानवी, पुस्तकालय सचिव माया गहलोत, कोषाध्यक्ष देवाराम चौधरी. दिव्या शर्मा, चन्द्रशेखर पुरोहित, महेन्द्रसिंह चौहान, गणपतसिंह राठौड़, रामलाल चौधरी सीरवी, विवेक चारण, शिव प्रकाश, गजेन्द्रसिंह सांखला, भंवरलाल मेघवाल, कैलाश जयपाल, प्रेमसिंह कच्छावाह, चन्द्रप्रकाश चौधरी, हरिशंकर टॉक, एचआर विश्नोई, रामसिंह नरूका सहित सैंकडों अधिवक्ता धरने पर बैठैं एवं किसी भी अधिवक्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय व अधिनस्थ न्यायालयों के न्यायिक कार्यों में अपनी उपस्थिति नहीं दी।

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