जघन्य हत्याकांड के मुख्य आरोपी को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

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10 लाख रुपये का लगाया जुर्माना

वर्ष 2008 में नरेगा कार्य के दौरान 4 लोगों की कर दी थी हत्या

धौलपुर जिले में फांसी की सजा का पहला मामला

धौलपुर। एससी एसटी कोर्ट धौलपुर ने करीब 15 साल पुराने हत्याकांड के प्रकरण में मुख्य आरोपी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने आरोपी पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

विशिष्ट लोक अभियोजक माहिर हसन रिजवी ने बताया कि वर्ष 2008 का बाड़ी सदर थाना क्षेत्र के गांव धौंधे का पुरा का मामला है। जहां 4 लोगों की हत्या तब कर दी गई, जब वे नरेगा में मजदूरी कर रहे थे। इस मामले में कोर्ट ने 4 नरेगा मजदूरों की हत्या को जघन्य अपराध माना है। एससी एसटी कोर्ट के न्यायाधीश नरेंद्र मीणा ने 82 वर्षीय कीर्तिराम पुत्र जालिम सिंह को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही 10 लाख रुपए के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया है।

ये था प्रकरण

विशिष्ट लोक अभियोजक माहिर हसन रिजवी ने बताया कि मृतक पक्ष और आरोपी पक्ष के बीच पुरानी रंजिश चल रही थी। इसी को लेकर 2008 में नरेगा कार्य के दौरान एक पक्ष के लोगों ने दूसरे पक्ष के लोगों पर फायरिंग कर दी। जिसमें एक पक्ष के 4 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। घटना को लेकर धौंधे का पुरा निवासी जयपाल पुत्र रतन लाल जाटव ने 9 जुलाई 2008 को बाड़ी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
जिसमें पीड़ित जयपाल ने बताया था कि उसके पिता रतनलाल, ताऊ नत्थीलाल, चाचा रामस्वरूप, भाई भंवर लाल और पप्पू नरेगा योजना के तहत बन रही सड़क पर काम करने गए थे। जहां गांव के कीर्तिराम पुत्र जालिम गुर्जर, सुरेश गुर्जर, विक्रम, चंद्रभान उर्फ अट्टा, पूरन, भगवान सिंह, राजू, गुड्डू, कल्ला, सुरेश ठाकुर और बच्चू सिंह हथियारों से लैस होकर आए। और गाली गलौज व मारपीट करते हुए फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें नत्थी लाल, रतनलाल, रामस्वरूप और रामवीर की मौके पर ही मौत हो गई।

घटना के बाद प्रकरण में बाड़ी पुलिस ने मामला दर्ज करते गए 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इसी मामले में अभी 3 आरोपी जेल में और हैं, जिनका ट्रायल चल रहा है। वहीं 7 आरोपी जमानत के बाद से फरार चल रहे हैं। लोक अभियोजक रिजवी का मानना है कि धौलपुर जिले के इतिहास में शायद ये पहला मामला है, जिसमें किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।

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