एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठियां भांजी

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छात्र नेता राजवीर सिंह के निलंबन के खिलाफ जेएनवीयू में प्रदर्शन, आमने-सामने हुए पुलिस व एबीवीपी के कार्यकर्ता
जोधपुर। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के एमए राजस्थानी के विद्यार्थी व छात्र नेता राजवीर सिंह बांता को निलंबित किए जाने पर मामला गर्मा गया है। विवि प्रशासन ने राजवीर सिंह को बिना कारण बताए निलंबित किया था। राजवीर सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भी है। इस निलंबन के खिलाफ एबीवीपी की तरफ से आज सुबह जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में प्रदर्शन किया गया। इस दौरान एबीवीपी के कार्यकर्ता और पुलिस आमने-सामने हो गए। कुलपति कार्यालय में घुसने के प्रयास में इन कार्यकर्ताओं व पुलिस के बीच झड़प हो गई। उन्हें रोकने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। इसके खिलाफ एबीवीपी के कार्यकर्ता वहां धरना देकर बैठ गए।

दरअसल जेएनवीयू के चीफ प्रोक्टर केआर पटेल ने एक आदेश जारी कर राजवीर सिंह को निलंबित किया है। राजवीर सिंह के निलंबन पर एबीवीपी की ओर से कहा गया है कि पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार छात्रों तक पेपर पहुंचाने वाले स्टाफ, अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने व गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट सावर्जनिक नहीं करने की बजाय इस मामले में आवाज उठाने वाले छात्र नेता राजवीर को निलंबित किया गया है। राजवीर ने पिछली बार एबीवीपी के टिकट पर जेएनवीयू के छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। एबीवीपी ने जेएनवीयू में पेपर लीक मामले में प्रदर्शन किया था। इसमें छात्र नेताओं के अवैधानिक आचरण को लेकर जेएनवीयू प्रशासन ने राजवीर को सस्पेंड किया था। इसके विरोध में सभी कार्यकर्ता आज विरोध जताने कुलपति कार्यालय पहुंचे थे। एबीवीपी के कार्यकर्ता जब जबरन कुलपति कार्यालय में घुसने का प्रयास करने लगे और बैरिकेटिंंग के नीचे लेट गए तो पुलिस ने भी हल्का बल प्रयोग किया और लाठियां भांजी। इस दौरान एक बार फिर प्रदर्शनरकारी छात्र तितर बितर हो गए लेकिन एक बार वापस वे जुटे और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना देकर बैठ गए। बाद में पुलिस ने अतिरिक्त जाब्ता मंगवाया और वहां आरएसी का जाब्ता तैनात कर दिया गया। छात्र नेता राजवीर सिंह का कहना है कि उस पर निलंबन की जो कार्यवाही की गई है उसका कोई कारण विश्वविद्यालय द्वारा नहीं बताया गया है। उनका मानना है कि पेपर लीक प्रकरण को दबाने के लिए उस पर कार्यवाही की गई है। पेपर लीक प्रकरण मुद्दे के लिए वह तब तक लड़ते रहेंगे जब तक पेपर लीक प्रकरण में लिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होती।

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