लोगों का सेक्यूलर होना संभव नहीं, सरकार हो सकती है सेक्यूलर:वकील विष्णुशंकर जैन

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काशी विश्वनाथ और मथुरा मंदिर मामले में हिन्दू पक्ष रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णुशंकर जैन ने उदयपुर में कहा
उदयपुर, 22 अप्रैल(ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और काशी विश्वनाथ-मथुरा मंदिर मामले में हिन्दू पक्ष के पैरोकार विष्णु शंकर जैन का कहना है कि लोगों का सेक्यूलर होना संभव नहीं है। सरकार सेक्यूलर हो सकती है। देश के संविधान के प्रिएम्बिल में सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द संविधान लागू होने के बरसों बाद जोड़े गए, हालांकि इनका जोड़ा जाना ही गलत था। एडवोकेट जैन शनिवार को उदयपुर राष्ट्र मंथन की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, जब संविधान सभी को अपने-अपने धर्म की पालना की स्वतंत्रता प्रदान करता है, तब सेक्यूलर कोई व्यक्ति कैसे हो सकता है?
सेक्यूलर शब्द संविधान में शामिल किया तो माइनोरिटी शब्द किसलिए?
एडवोकेट जैन ने कहाकि सेक्यूलर शब्द यदि संविधान में शामिल किया गया है तो इसके बाद माइनोरिटी शब्द की जगह ही नहीं बचती है। उन्होंने तर्क देकर कहा कि संविधान के आर्टिकल 29-30 में माइनोरिटी को उनकी संस्कृति और परम्पराओं को लेकर अधिकार दिए गए हैं। संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि सरकार को उनकी परम्पराओं का पोषण करना है, ऐसे में माइनोरिटी मंत्रालय भी उनकी नजर में संविधान अनुरूप नहीं है। संविधान सभा की बहस में सरदार पटेल भी माइनोरिटी के दर्जे के विरोध में थे।

ज्ञानवापी में शिव प्रतिमा
एडवोकेट जैन ने काशी विश्वनाथ मंदिर के मामले में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की कार्रवाई को विस्तार से बताते हुए कहा कि जिस क्षण वजू पोण्ड में उन्हें बाबा के दर्शन हुए, उस क्षण वे और उनकी टीम यह भूल गई थी कि वे वकील हैं। सभी के कंठ से एक ही स्वर निकला था, नमः पार्वती पतये, हर हर हर महादेव। उन्होंने बताया कि इसी 25 तारीख को मामले में सुनवाई है।
दो ऐसे कानून जिससे हिन्दू समाज के अधिकार छीने
एडवोकेट जैन ने प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 और वक्फ एक्ट 1995 को देश की सबसे बड़ी लीगल कॉन्सपिरेंसी करार देते हुए कहा कि इन दो कानूनों से हिन्दू समाज के अधिकार छीन लिए गए। इन एक्ट के बाद स्थिति यह बनी है कि देश में डिफेंस और रेलवे के बाद सर्वाधिक जमीनी मिल्कियत वक्फ के पास है। वक्फ जिस सम्पत्ति को अपना बता दे, उस पर हिन्दू को कोर्ट जाने का अधिकार नहीं है। संविधान के आर्टिकल 32 में जो देश के नागरिकों को हक दिया गया है, इस एक्ट के जरिये उसे छीन लिया गया है। और तो और वक्फ कमेटी के सदस्यों को पब्लिक सर्वेंट की संज्ञा दी गई है, जैन ने सवाल उठाया कि आज तक किसी हिन्दू शंकराचार्य या पुजारी को पब्लिक सर्वेंट की संज्ञा का कानून क्यों नहीं बनाया गया।

एडवोकेट जैन ने अपना मत रखते हुए कहा कि उन्होंने केन्द्र सरकार को अपनी राय भेजी है कि वक्फ कानून को यदि हटाया नहीं जा सकता तो उसमें सिर्फ एक लाइन जोड़ी जाए कि यह कानून गैर मुस्लिम पर लागू नहीं होगा। जैन ने यह भी कहा कि जब किसी अन्य आस्था स्थल को तोड़कर मस्जिद बनाया जाना मुस्लिम भी हराम मानते हैं तब उन्हें इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

जनसंख्या नियंत्रण और यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिन्दू समाज के लिए नुकसानदेह
जैन ने जनसंख्या नियंत्रण और यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिन्दू समाज के लिए नुकसानदेह बताते हुए कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून हिन्दू समाज को ही पाबंदी में ला देगा, और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दूसरे यूनिफॉर्म सिविल कोड में किस क्षेत्र में एकरूपता चाहिए, यह अभी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे अच्छा तो आईपीसी की धारा 494 को ही मजबूत करने की जरूरत है जिसमें हिन्दू समाज के एक पत्नी के रहते दूसरे विवाह को अपराध बताया गया है, इसे देश के हर नागरिक पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।

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