जयपुर, 17 अप्रैल (ब्यूरो): राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के कल्याण और जेल में आधारभूत सुविधाओं से जुड़े मामले में राज्य सरकार और जेल प्रशासन को कहा है कि वह बंदियों की कोर्ट में पेशी सुनिश्चित करे। पेशी फिजिकल या वीसी के जरिए कराई जा सकती है। अदालत ने इसके लिए जेल डीसी को परिपत्र जारी करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में महाधिवक्ता से 26 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस अशोक गौड और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कैदियों की फिजिकल और वीसी के जरिए की जा रही पेशियों का ब्यौरा पेश किया। इस पर अदालत ने पूछा कि चालानी गार्ड की नियुक्तियों को लेकर क्या किया गया है। इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि चालानी गार्ड की नियुक्ति की जा रही हैं और वीसी के जरिए पेशी कराई जा रही है। इसका विरोध करते हुए न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि चालानी गार्ड की कमी के चलते फिजिकल पेशी कम हो रही है, जबकि हाईकोर्ट पूर्व में इन गार्ड की नियुक्ति करने को कहा चुका है। वहीं वीसी के जरिए भी सभी कैदी पेश नहीं किए जा रहे हैं। करीब 77 फीसदी कैदियों की पेशी नहीं हो पा रही है।
कैदियों के भी मानवाधिकार हैं और उनकी पेशी सुनिश्चित कराई जानी चाहिए। इस पर अदालत ने राज्य सरकार और जेल प्रशासन को कैदियों की पेशी सुनिश्चित करने को कहा है। गौरतलब है कि कैदियों के कल्याण और जेल में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने को लेकर हाईकोर्ट ने पूर्व में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर समय-समय पर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दे रखे हैं।