कमजोर सीटों को जीतने की राष्ट्रीय स्तर पर बनी भाजपा की रणनीति के तहत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भरतपुर आए। राजस्थान के सात संभागों में से भाजपा के लिए भरतपुर और जयपुर संभाग ही सबसे कमजोर कड़ी है।
पिछले चुनाव में भरतपुर संभाग के चार जिलों में से तीन जिलों में भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। भरतपुर, करौली और सवाईमाधोपुर में भाजपा की स्थिति शून्य रही जबकि धौलपुर में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी।
बाद में इस सीट से जीती शोभारानी कुशवाह को भी पार्टी से बाहर कर देने के कारण मौजूदा समय में भरतपुर संभाग की 19 सीटों पर भाजपा का कोई विधायक नहीं है।
इस बार भाजपा का पूरा फोकस सोशल इंजीनियरिंग के साथ बूथ मजबूत करने पर है। जिन संभागों में भाजपा की स्थिति कमजोर है वहां पार्टी को मजबूती देने का जिम्मा खुद केंद्रीय नेतृत्व ने उठा रखा है।
इसी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजस्थान में दौरे हो रहे हैं। केंद्रीय नेताओं के दौरों में उन्हीं क्षेत्रों काे फोकस किया जा रहा है, जहां भाजपा की स्थिति कमजोर है।
मीणा-गुर्जर और एससी बहुल पूर्वी राजस्थान में भाजपा की स्थिति बेहद कमजोर होने के कारण ही केंद्रीय नेताओं के इस क्षेत्र में बार-बार दौरे हो रहे हैं। सवाईमाधोपुर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा पहले ही हो चुका है।
इसके बाद फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी भी दौसा में सभा कर चुके हैं, जिसमें भाजपा ने पूर्वी राजस्थान के आठ जिलों से भीड़ जुटाकर खुद की स्थिति मजबूत करने की कोशिश की थी। अब शाह ने भरतपुर में बूथ विजय संकल्प कार्यक्रम किया है।
2013 में 11 जीती, 2018 में मात्र एक सीट
पिछले चुनाव में भरतपुर संभाग भाजपा के लिए सत्ता से बाहर होने का बड़ा कारण बना था। 2013 के चुनाव में जहां 19 में से बीजेपी ने 11 सीटें जीती थीं, वहीं 2018 के चुनाव में महज एक सीट पर अटक गई।
भरतपुर : भरतपुर जिले में विधानसभा की सात सीटें हैं। 2008 के चुनाव में भाजपा ने सात में से 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें नगर, डीग कुम्हेर, भरपुर, नदबई, वैर और बयाना सीट पर उसको जीत मिली।
इसके बाद 2013 में हुए चुनाव में भी भाजपा ने सात में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें कामां, नगर, भरतपुर, नदबई, वैर, बयाना सीट शामिल थी। 2018 के चुनाव में भरतपुर जिले से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। सात में से एक भी सीट पर उसे सफलता नहीं मिली।
धौलपुर: धौलपुर जिले की चार सीटों में से भाजपा को 2008 के चुनाव में दो सीटों धौलपुर व राजाखेड़ा में जीत हासिल हुई लेकिन 2013 के चुनाव में चारों सीटों में से एक भी सीट भाजपा नहीं जीत सकी। 2018 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ धौलपुर सीट पर जीत मिली लेकिन बाद में पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण विधायक शोभारानी को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया।
करौली : करौली जिले की चार सीटों में से भाजपा के पास एक भी सीट नहीं है। 2008 के चुनाव में जिले की एक सीट करौली से भाजपा को जीत मिली थी। इसके अगले चुनाव 2013 में भी भाजपा को सिर्फ एक सीट हिंडौन में जीत मिली। लेकिन 2018 के चुनाव में वह चारों सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत पाई।
सवाईमाधोपुर : संभाग के सवाईमाधोपुर जिले में चार सीटें आती हैं लेकिन यहां से भाजपा के पास एक भी सीट नहीं है। 2008 के चुनाव में यहां से भाजपा चारों सीटें हारी थी लेकिन 2013 के चुनाव में भाजपा ने चारों सीटें जीती। इसके बाद 2018 के चुनाव में उसने चारों सीटें खो दीं।
दौरे को लेकर क्या कह रहे बीजेपी नेता
अमित शाह के दौरे से पार्टी कार्यकर्ताओं को नई दिशा और नई ऊर्जा मिलेगी। पिछली बार भरतपुर संभाग में पार्टी को ज्यादा सफलता नहीं मिली थी। इस बार भरतपुर संभाग में पिछले चुनाव के मुकाबले ठीक उल्टी स्थिति होगी। हम सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे।
– सीपी जोशी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
अमित शाह बूथ संकल्प महाभियान के जरिए कार्यकर्ताओं में नया जोश भरेंगे। शाह का दौरा भरतपुर संभाग में पाटी की जीत की आधारशिला रखने वाला साबित होगा। मैं समझता हूं कि शाह के आने से भरतपुर संभाग की 19 सीटें मजबूत होंगी और यहां से बीजेपी जीत दर्ज करेगी।
– मनोज राजोरिया, करौली-धौलपुर सांसद, भाजपा
अमित शाह के आने से कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा। शाह का फोकस हमेशा से बूथ मैनेजमेंट को ठोस करने पर रहा है। उनके आने से हमारी बूथ स्तर तक की टीम एक्टिवेट होगी और इससे चुनाव में भाजपा को सफलता मिलेगी।
-सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष, बीजेपी