जयपुर, 13 अप्रैल। हाईकोर्ट ने सेट बैक एरिया में हुए निर्माण व आवासीय में व्यावसायिक गतिविधियों के मामले में मानसरोवर के मध्यम मार्ग के सैकड़ों व्यापारियों को राहत देते हुए राज्य सरकार व नगर निगम को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए पाबंद किया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार, नगर निगम, जेडीए व हाउसिंग बोर्ड से जवाब देने के लिए कहा है। एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश सद्भावना व्यापार मंडल व अन्य की अपील पर दिए।
अपील में एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एकलपीठ ने राज्य सरकार व नगर निगम को सेट बैक एरिया में हुए निर्माण के संबंध में कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए संबंधित जोन उपायुक्त को 24 अप्रैल को अदालत में हाजिर होने को कहा था। अपील में वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद व अधिवक्ता हर्षिता ठकराल ने बताया कि एकलपीठ के सामने केवल दो लोगों का आपसी विवाद था, लेकिन एकलपीठ ने वृहद स्तर पर आदेश दिया। जबकि ऐसे आदेश बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं और ऐसे आदेश केवल पीआईएल में ही दिए जा सकते हैं। इसके अलावा मौजूदा मास्टर प्लान में मानसरोवर इलाके को मिक्स लैंड यूज के तौर पर बताया है। इसलिए यहां आवास के साथ-साथ दुकानें भी संचालित की जा सकती है। वहीं 90 मीटर तक के आवासों में सेट बैक छोडऩे का प्रावधान लागू नहीं होता है। एकलपीठ ने आदेश देने से पहले प्रार्थियों का पक्ष भी नहीं सुना, जबकि वे इस आदेश से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार अदालती आदेश के बाद नगर निगम ग्रेटर ने मानसरोवर मध्यम मार्ग पर आवासीय भवनों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों और सेटबैक को लेकर नोटिस जारी किए थे और 7 दिन में अपने स्तर पर अवैध निर्माण हटाने को कहा था।