एसएमसी एवं एसडीएमसी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से कार्य कर शिक्षा में नवाचारों की संवाहक बने-डॉ. कल्ला

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प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ विद्यालय प्रबंधन एवं विकास समितियों को मिला एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार

प्रत्येक जिले से एक-एक एसएमसी और एसडीएमसी का चयन

जयपुर, 22 मार्च। प्रदेश के सरकारी स्कूलों के प्रबंधन एवं विकास में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली एसएमसी (स्कूल प्रबंधन समिति) एवं एसडीएमसी (शाला विकास एवं प्रबंधन समिति) को बुधवार को यहां शिक्षा संकुल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वर्चुअल कार्यक्रम में पुरस्कृत किया गया। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला के मुख्य आतिथ्य और शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती जाहिदा खान की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में सभी 33 जिलों से राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित एक-एक एसएमसी एवं एसडीएमसी के नामों की घोषणा की गई। इन समितियों में से प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई है। समितियों के खातों में कुल 66 लाख रुपये की राशि का हस्तांतरण ऑनलाइन किया जा रहा है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों के विकास एवं संवर्द्धन में एसएमसी एवं एसडीएमसी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना से नवाचारों की संवाहक बनें। विद्यालयों में एसएमसी एवं एसडीएमसी की स्थापना और सर्वश्रेष्ठ समितियों को राज्य स्तर पर पुरस्कृत करने की योजना इसी परिकल्पना पर आधारित है। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों से अपील की कि वे विद्यालय विकास से सम्बंधित चारदीवारी, कक्षा-कक्ष, लैब एवं वाचनालय निर्माण जैसे विस्तार कार्यों के लिए आगामी 25 सालों का मास्टर प्लान बनाए और शैक्षिक विकास से सम्बंधित सभी गतिविधियों का प्रभावी सुपरविजन भी करें।

डॉ. कल्ला ने प्रदेश की शैक्षिक प्रगति में विद्यालय समितियों, शिक्षकों और अधिकारियों के योगदान की सराहना करते हुए शिक्षा में सतत गुणात्मक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा के पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाए, जिससे यहां से शिक्षित विद्यार्थी दुनिया के किसी भी कोने में अपने क्षेत्र में अलग पहचान बनाने में कामयाब हो।

शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती जाहिदा खान ने विद्यालयों के विकास में एसएमसी एवं एसडीएमसी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि विभाग के तहत इंटरनेशनल एक्सपोजर विजिट की भी प्लानिंग की जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने शिक्षा विभाग में बाल-गोपाल योजना के तहत बच्चों को 2 दिन के बजाय पूरे सप्ताह दूध पिलाने, अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थापना और नो बैग डे जैसी योजनाओं और नवाचारों को लागू किया है। विभाग के अधिकारी अभिभावकों और ग्रामवासियों की सक्रिय भागीदारी से इनको आगे बढ़ाए। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ चयनित समितियों को बधाई देते हुए भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों को वर्चुअल के स्थान पर फिजिकल रूप में आयोजित करने की आवश्यकता भी जताई।

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मोहन लाल यादव ने कहा कि दूसरे राज्यों की तुलना में प्रदेश की स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर डवलेपमेंट की दृष्टि से काफी अच्छा काम हो रहा है। ग्रास रूट स्तर पर विधालय विकास एवं प्रबंधन समितियों के साथ-साथ शिक्षक समुदाय के सफल प्रयासों से भामाशाहों का शाला विकास गतिविधियों में विशेष सहयोग मिल रहा है। कई स्थानों पर तो शिक्षकों ने व्यक्तिगत स्तर पर भी स्कूलों के विकास में आर्थिक सहयोग देकर उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने एसएमसी एवं एसडीएमसी की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

अतिरिक्त परियोजना निदेशक श्री राकेश गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन जिला शिक्षा अधिकारी, जयपुर श्री राजेन्द्र हंस ने किया। कार्यक्रम में राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के उपायुक्त, उप निदेशक और सहायक निदेशकों के अलावा सभी 33 जिलों से एसएमसी एवं एसडीएमसी के सदस्य और विभागीय अधिकारी ऑनलाइन जुड़े।

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