राजस्थान सरकार ने भले ही पानी-बिजली के बिलों में छूट दे रखी है, लेकिन जयपुर शहर के लाखों उपभोक्ताओं की जेब हर महीने कट रही है। इसके पीछे कारण है विभागों की लापरवाही। विभाग के कर्मचारी मीटर की रीडिंग ही नहीं ले रहे। औसत यूनिट के हिसाब से बिल थमाए जा रहे हैं। यही नहीं पूरे जयपुर में पानी के बिल समय पर भी नहीं मिल रहे है। कई कॉलोनियों में पानी का बिल 2 से 6 महीने तक नहीं भेजा जा रहा। डेट निकल जाने के बाद बिल पहुंचता है तो लोगों को फाइन भुगतना पड़ता है।
15 हजार लीटर तक बिल माफ
सरकार ने 15 हजार लीटर तक पानी का उपभोग करने पर उपभोक्ताओं का पानी का बिल माफ कर रखा है। अगर किसी एक महीने में 15 हजार लीटर तक उपभोग होता है तो उसे केवल स्थायी शुल्क (27.50 रुपए) और मीटर सर्विस शुल्क (22 रुपए) के रूप में 49 रुपए 50 पैसे का भुगतान देना होता है। इन्हें 55 रुपए का वाटर चार्ज नहीं देना पड़ता। अगर उपभोक्त के एक महीने में 15 हजार लीटर से ज्यादा पानी का उपयोग होता है तो उसे से 55 रुपए का वाटर चार्ज भी देना पड़ता है। इसके अलावा ऐसे उपभोक्ताओं को सीवरेज चार्ज और इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट सरचार्ज भी अलग से देना पड़ता है।
मनमर्जी से भेजते हैं औसत रीडिंग
जयपुर में ‘शहर में पीएचईडी के अभी सवा 5 लाख उपभोक्ता हैं। 90 फीसदी से ज्यादा एरिया में मीटर रीडिंग का काम नहीं हो रहा, जिसके कारण उपभोक्ताओं को औसत रीडिंग निकालकर बिल भेजा जाता है। ये औसत रीडिंग भी विभाग अपनी मर्जी से निकालता है।
उदाहरण के तौर पर मानसरोवर अग्रवाल फार्म निवासी श्रीमति अंजू शर्मा के मकान पिछले साल नवंबर-दिसंबर का पानी का बिल इस साल जनवरी के आखिरी सप्ताह में आया है, जिसमें दोनों महीने (नवंबर और दिसंबर) कुल यूनिट 20880-20880 यूनिट बताते हुए 153-153 रुपए का बिल भेजा है। इसी तरह का बिल परकोटे में मिश्रराजा जी का रास्ता निवासी सीताराम जी नाटाणी के यहां आया। उनके दिसंबर-जनवरी का बिल इसी सप्ताह आया है।
दोनों महीने 20880-20880 यूनिट दिखाई गई है और दोनों महीने का बिल 153-153 रुपए के हिसाब से भेज दिया। इन दोनों ही बिलों में जल शुल्क के साथ-साथ सीवरेज शुल्क भी लगाया गया है, क्योंकि उपभोग 15000 से ज्यादा है।
यूं समझे ऐसे होता है नुकसान
अगर विभाग की ओर से रेगुलर रीडिंग करवाई जाए तो वास्तविक उपभोग (एक माह में उपयोग किए गए लीटर) का पता चलेगा। अगर रीडिंग में किसी उपभोक्ता के 15 हजार या उससे कम लीटर आता है तो उसे जल शुल्क और सीवरेज शुल्क नहीं देना पड़ेगा। लेकिन रीडिंग नहीं होने से ये पता ही नहीं चल रहा कि एक घर में वास्तविकता में एक महीने में कितना पानी का खर्च हो रहा है। विभाग हर उपभोक्ता को औसत यूनिट निकालकर बिल भेज रहा है, ये औसत यूनिट 15 हजार लीटर से ज्यादा बताई जा रही है। इस कारण उपभोक्ताओं को जल शुल्क और सीवरेज चार्ज भी देना पड़ रहा है।
2.80 पैसे प्रति किलोलीटर के हिसाब से बिल
वैसे तो पानी का शुल्क अलग-अलग स्लैब के अनुसार है, लेकिन 15 से 21 हजार लीटर तक जिन उपभोक्ताओं के रीडिंग भेजी जा रही है उनसे मिनिमम 55 रुपए जलशुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन जिन उपभोक्ताओं के 21 हजार लीटर की रीडिंग भेजी जा रही है उनके औसतन 2.80 रुपए प्रति किलोलीटर के हिसाब से जलशुल्क लगाया जा रहा है।